जिला प्रशासन और हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद आज बिलासपुर में एक समुदाय विशेष के द्वारा भव्य जुलूस निकाला गया.
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बिलासपुर: जिला प्रशासन और हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद आज बिलासपुर में एक समुदाय विशेष के द्वारा भव्य जुलूस निकाला गया. शहर में जुलूस को निकलता देख आनन-फानन में पुलिस और जिला प्रशासन के द्वारा संवेदनशील चौक-चौराहों पर बेरिकेटिंग पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया. जिसके बाद समुदाय विशेष के द्वारा जुलूस का मार्ग बदलते हुए जुलूस निकाला जाता रहा. आलम ये था कि पुलिस और जुलूस के बीच लुका छिपी का खेल चलता रहा. यहां भारी तनाव के बीच सुरक्षा से जुड़े अधिकारी शांति भंग न हो इसलिए दिन भर पसीना बहाती रही.
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बता दें कि इस दौरान कई जगहों पर पुलिस का सुरक्षा घेरा तोड़कर जुलूस को निकालने का साहस किया गया. जिस पर एसडीएम पुलक भट्टाचार्य और जुलूस के आयोजनकर्ताओं के बीच बहस भी होती रही. दिन भर तनाव के माहौल के बीच निकले जुलूस का समापन तालापारा क्षेत्र के तैबाचौक में हुआ. जिसके बाद पुलिस ने राहत की सांस ली.
जुलूस न निकालने की मांग की थी
हाल ही में वक्फ बोर्ड ने छत्तीसगढ़ के आलम को देखते हुए शासन को अनुशंसा पत्र भेज कर ईद मिलादुन्नबी में जुलूस ना निकालने की मांग की थी. जिस पर शासन ने पुरे छत्तीसगढ़ में आदेश जारी कर पर्व में जुलुस पर पाबंदी लगा दिया था. जिसे आधार मानते हुए जिला प्रशासन ने बिलासपुर में शान्ति समिति की बैठक ली और समुदाय विशेष को भरोसे में लिया था.
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कोर्ट फैसला नहीं दे सकती
वहीं इस प्रशासन के इस फैसले से नाराज समुदाय के एक वर्ग ने ''उसकी देन कमेटी'' की जानिब से हाईकोर्ट में जुलूस की अनुमति के लिए याचिका पेश किया था. जिस पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अनुमति याचिका को खारिज कर दिया. जिसमें कोर्ट ने याचिका में सुनवाई करते हुए कहा कि राहत देने का अधिकार नहीं है. यह राज्य का नीतिगत निर्णय है. सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार राज्य के नीतिगत निर्णय फैसले पर कोर्ट कोई फैसला नहीं दे सकती. इसके बाद भी बिलासपुर में शासन और हाईकोर्ट के आदेश के उल्लंघन का मामला देखने को मिला है.