मजनुओं की अब खैर नहीं, महिलाओं-छात्राओं के लिए मैदान में आई टीम रक्षक, जानिए
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मजनुओं की अब खैर नहीं, महिलाओं-छात्राओं के लिए मैदान में आई टीम रक्षक, जानिए

सूरजपुर में अब मनचलों की खैर नहीं है. इन मनचलों को सबक सिखाने के लिए सूरजपुर पुलिस ने टीम रक्षक का गठन किया है.

मजनुओं की अब खैर नहीं, महिलाओं-छात्राओं के लिए मैदान में आई टीम रक्षक, जानिए

सूरजपुर: सूरजपुर में अब मनचलों की खैर नहीं है. इन मनचलों को सबक सिखाने के लिए सूरजपुर पुलिस ने टीम रक्षक का गठन किया है. अब आप सोच रहे होंगे कि क्या है यह टीम रक्षक और महिलाओं की ये टीम रोड छाप मजनू पर कैसे कहर बनकर बरसेगी? बता दें कि सूरजपुर प्रदेश का पहला जिला है, जहां महिला अपराध एवं छेड़छाड़ के मामलों में कमी लाने के लिए टीम रक्षक का गठन किया गया है. निश्चित ही सूरजपुर पुलिस की यह एक सार्थक पहल है, जिसकी सभी तारीफ कर रहे हैं.. जानिए हमारी खास रिपोर्ट में...

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दरअसल नीली वर्दी में बाइक से गश्त लगाती ये महिलाएं आम महिलाएं नहीं बल्कि सूरजपुर की महिला पुलिस है. जिन्हें नाम दिया गया है टीम रक्षक. 12 सदस्यीय यह टीम लगातार दिन भर स्कूल-कॉलेज के आसपास पेट्रोलिंग करती हैं और यदि कोई मनचला लड़कियों को छेड़ता है, तो यह टीम पहले उन मनचलों को सबक सिखाती है और फिर स्थानीय पुलिस थाने में को सौंप देती हैं. 

हेल्पलाइन नंबर जारी किया
इस टीम की सभी 12 सदस्य को जूडो कराटे सहित कई तरह की ट्रेनिंग दी गई है. इस टीम रक्षक का मुख्य उद्देश्य लड़कियों के साथ हो रहे छेड़छाड़ और महिला अपराधों में कमी लाना है. जिले के सभी स्कूल एवं कॉलेजों में एक हेल्प लाइन नंबर भी दिया गया है. जिस में कभी भी जरूरत पड़ने पर इन्हें फोन किया जा सकता है. आगे चलकर इस टीम को डायल 100 और डायल 112 से भी जोड़ने की प्लानिंग है.

समस्या खुलकर बता रही है
कमला राजवाड़े टीम रक्षक की सदस्य ने बताया कि टीम रक्षक जिले के सभी स्कूल और कॉलेजों में जाकर छात्राओं से मिल रही हैं और उन्हें मोटिवेट करने के साथ उनके सुरक्षा के लिए जागरूक कर रही हैं. इस टीम रक्षक को छात्राओं का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है और वह खुलकर अपनी समस्या इनको बता पा रही हैं.

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लड़कियों का डर हुआ खत्म
बता दें कि टीम रक्षक को अपने बीच पाकर स्कूल और कॉलेज की लड़कियां भी काफी उत्साहित दिख रही हैं. छात्राओं के अनुसार अक्सर स्कूल आते-जाते समय उन्हें सड़क छाप मजनूओं के छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ता था, लेकिन डर और शर्म की वजह से वह किसी से यह बातें नहीं बता पाती थी. लेकिन टीम रक्षक में सभी महिलाएं होने की वजह से भी छात्राओं को इनसे अपनी समस्या बताने में सहूलियत होती है.

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