गांवों में शिक्षा की आस: गरियाबंद में आजादी के बाद से हाइस्कूल से वंचित आदिवासी
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गांवों में शिक्षा की आस: गरियाबंद में आजादी के बाद से हाइस्कूल से वंचित आदिवासी

छत्तीसगढ के गरियाबंद में सुदूर इलाके के 2000 की आबादी वाले करीब 7 गांवों में आजादी के 75 साल बाद भी हाइस्कूल नहीं बन सका है. इन गावों में लोगों ने इसी कारणों से 8वीं से ज्यादा की पढ़ाई नहीं की है.

गांवों में शिक्षा की आस: गरियाबंद में आजादी के बाद से हाइस्कूल से वंचित आदिवासी

गरियाबंद: देश को आजाद हुए 75 साल बीत चुके हैं. हम अंतरिक्ष तक रपहुंच गए हैं और दुनिया में हमारा एक नाम है. देश लगातार आर्थिक और राजनीतिक दोनों रूप से मजबूत हो रहा है, लेकिन अभी भी कुछ इलाकें है, जहां के लोगों शिक्षा के अभाव का सामना केवल इस लिए कर रहे हैं कि उन्हें सरकारें स्कूल तक की सुविधा नहीं दे पाईं. ऐसा ही गरायबंद जिले के कुछ गांव है, जहां के लोगों ने हाइस्कूल के अभाव में आगे की पढ़ाई नहीं की.

गरियाबंद से 80 किलोमीटर दूर हैं गांव
ये हालात गरियाबंद जिले के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र आमा मोरा और ओढ़ इलाके के हैं. आमा मोरा और ओढ़ जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर पहाड़ी पंचायतें हैं. इन पंचायतों के कुल पांच आश्रित गांव हैं. अमलोर, हाथोडाडीह, नगरार, कुकरार और जोबपारा. यहां की आबादी करीब 2000 की है.

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2000 की आबादी में 7 प्राथमिक और 2 माध्यमिक स्कूल
आमा मोरा और ओढ़ पंचायत की 2000 आबादी के लिए 7 प्राथमिक शाला और दो माध्यमिक विद्यालय हैं, जहां 17 शिक्षक 250 छात्र-छात्राओं को पढ़ाते हैं, लेकिन इन्हें आगे की पढ़ाई के लिए गांव से दूर 40 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है. इस कारण ज्यादातर बच्चे पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं. यहां कारण है कि इन पंचायतों में किसी ने 8वीं कक्षा से ज्यादा की पढ़ाई नहीं की है.

गांव से 40 किलोमीटर दूर है हाईस्कूल
इन गांवों के सबसे पास का हाईस्कूल 40 किलोमीटर दूर धवलपुर में है. यहां के ग्रामीण हाई स्कूल भवन खोलने के लिए लम्बे समय से शासन प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. शिक्षक भी माध्यमिक विद्यालय को हाई स्कूल में उन्नयन करने के लिए प्रयासरत है, लेकिन सरकारी दफ्तरों की फाइलें घूम रही है. 

अधिकारियों ने दिया आश्वासन
विकास खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि ग्रामीणों के माध्यम से हाई स्कूल खोलने का प्रस्ताव आया है. जल्द ही परीक्षण कर आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. गरियाबंद की आमा मोरा और ओढ़ पंचायत के लोगों का 75 साल बाद भी एक ही सपना है, वो है हाईस्कूल. अब देखना यह होगा कि बच्चों के लिए शासन प्रशासन कब तक हाई स्कूल भवन बना पाएगा और कब तक यहां शिक्षकों की भर्ती हो पाएगी, जिससे इन गांवों को शिक्षा की सही दिशा मिल पाए.

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