इरशाद हिंदुस्तानी/बैतूल: सामाजिक सरोकार और अपने कर्तव्य को लेकर बैतूल जिले से एक बेहद अच्छा मामला सामने आया है. जो आजकल के दौर में बेहद कम ही देखने को मिलता है.  जहां एक महिला अफसर अपने 11 महीने के बेटे को घर पर छोड़कर मजदूरों के बच्चों के बीच न केवल बैठी नजर आयी बल्कि उनसे बात करते हुए उन्हें चॉकलेट भी बांटी. जब तक मजदूरों को उनके पैसे नहीं मिल गए तब तक महिला अफसर उनके साथ बैठी रही.


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यह है पूरा मामला
मामला मध्य प्रदेश के बैतूल का है. जहां वन विभाग से मजदूरी नहीं मिलने के कारण कटनी जिले के सैकड़ों मजदूर अपनी महिलाओं और बच्चों के साथ बैतूल कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठ गए.  ठंड से परेशान हो रहे मजदूरों के परिवार को देख कर बैतूल की महिला डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे उनके पास पहुंची और उनसे उनकी परेशानी पूछी. मामले को गंभीरता से लेते हुए महिला कलेक्टर मजदूरों के साथ बैठ गयी. इस दौरान महिला ऑफिसर ने मजदूरों के बच्चों को बिस्किट और नमकीन की व्यवस्था भी की.



दरअसल, कटनी जिले के यह मजदूर बैतूल में वन विभाग की तरफ से पौधारोपण का काम करने आए थे. वन विभाग ने 28 मजदूरों को सालबर्डी बीट के जंगल में पौधारोपण के लिए गड्ढे खोदने का काम दिया था. लेकिन उनका कहना था कि वन विभाग 28 मजदूरों का 1 लाख 96 हजार की मजदूरी का भुगतान वन विभाग नहीं दे रहा था.  इस मामले को लेकर मजदूर बैतूल कलेक्ट्रेट ऑफिस पहुंचे और कलेक्टर राकेश सिंह को मामले में ज्ञापन दिया. कलेक्टर ने मामले की जांच डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को सौंप दी और निराकरण के आदेश दिए.


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मजूदरों को दिलाई उनकी मजदूरी
डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने सभी मजदूरों की बात सुनी और वन विभाग के अधिकारियों से बात कर परेशान मजदूरों को रात में ही उनका भुगतान कराने के लिए कहा. वन विभाग की टीम देर रात तक कलेक्ट्रेट पहुंची और उसने इन मजदूरों का बकाया भुगतान किया. भुगतान मिलने के बाद जिन मजदूरों के चेहरों पर तनाव और नाराजगी थी, उन चेहरों पर मुस्कान आ गई.


इस वजह से नहीं किया था भुगतान
डिप्टी कलेक्टर ने वन विभाग से भुगतान न करने के पीछे का कारण पूछा जिसको लेकर वन विभाग का कहना था कि जिस साइज में इन मजदूरों को गड्ढे खोदने के लिए कहा गया था, उस साइज में गड्ढे नहीं खोदे थे, इसलिए इनका भुगतान तकनीकी कारणों से अटक गया था. खास बात यह मामला सुबह शुरू हुआ था, जो देर रात चला लेकिन डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे तभी घर लौटी जब उन्होंने पूरे मामले का निराकरण कराया.


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