सीबीआई ने पीएमटी सीटों के फर्जीवाड़े के मामले में ग्वालियर की हाईकोर्ट ब्रांच में 4 हजार से भी ज्यादा पन्नों की चार्जशीट दाखिल कर दी है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 28 जनवरी तय की है.
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ग्वालियरः सीबीआई (CBI) ने पीएमटी 2011 धांधली (PMT 2011 Scam) केस में 7 जनवरी को अपनी चालान कॉपी ग्वालियर की हाईकोर्ट ब्रांच में पेश कर दी. सीबीआई ने करीब साढ़े 4 हजार पन्नों का चालान पेश किया है. इस मामले में भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज के संचालक डॉ अजय गोयनका सहित उनके कॉलेज स्टॉफ के 8 लोगों सहित कुल 60 लोगों को मामले में आरोपी बनाया है. आरोपियों में 23 छात्र भी शामिल हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी.
5-5 आरोपियों को किया जाएगा पेश
सीबीआई की तरफ से मामले को देख रहे वकील भारत भूषण शर्मा ने बताया कि मामले की सुनवाई में थोड़ी देरी हो रही है. क्योंकि कोरोना के चलते करीब 60 आरोपियों को एक साथ कोर्ट में पेश करना मुश्किल हैं. ऐसे में हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिए हैं कि पांच-पांच आरोपियों को एक बार में पेश किया जाए. मामले में कुछ वरिष्ठ लोग भी आरोपी बनाए गए हैं जिन्हें जरुरी होने पर ही कोर्ट में लाया जाएगा.
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2011 से हो रही है व्यापमं घोटाले की जांच
दरअसल, प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड Vyapam घोटाले की जांच साल 2011 से चल रही है. सीबीआई की चार्जशीट में बताया गया कि चिरायु मेडिकल कॉलेज पर साल 2011 में सरकारी कोटे की 39 सीटों को 50 लाख रुपए तक में बेचने के आरोप लगाए गए हैं. आरोप के मुताबिक चिरायु मेडिकल कॉलेज ने सरकारी कोटे की सीटों पर पहले डमी एडमिशन दिए, फिर इन सीटों को चहेते लोगों को बेच दिया गया. इस पूरे खेल में चिरायु मेडिकल कॉलेज के संचालक डॉ. गोयनका सहित मेडिकल एजुकेशन के तत्कालीन अफसर भी शामिल थे.
इस मामले में पहले 3 लोगों पर चार्जशीट हो चुकी है. सीबीआई की जांच आगे बढ़ी तो इसमें 50 और नए नाम सामने आए हैं. कुछ सीटों को तो मुंह मांगी रकम पर बेचा गया था. शुरू में इस मामले की जांच राज्य सरकार की तरफ से गठित की गई एसआईटी (SIT) ने की थी. लेकिन 2015 में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गयी थी. इस मामले में करीब पांच साल बाद चालान पेश किया है. बता दें कि इस मामले में आरोपी बनाए गए चिरायु मेडिकल कॉलेज के संचालक डॉ अजय गोयनका को 2012 में जेल भी भेजा गया था.
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डॉ. अजय गोयनका के खिलाफ ग्वालियर में दर्ज हुआ था केस
साल 2011 में जब फर्जीवाड़ा सामने आया था तो चिरायु मेडिकल कॉलेज के संचालक डॉ. अजय गोयनका के खिलाफ ग्वालियर के झांसी रोड थाने में केस दर्ज हुआ था. उन पर आरोप लगा था कि वह अपने कॉलेज में पहले से ही एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्रों को डमी एडमिशन दिलाकर सीटें रिजर्व करा लेते थे, फिर पैसे लेकर मनचाहे कैंडिडेट्स को उन सीटों को बेच देते थे.
दरअसल, चिरायु मेडिकल कॉलेज प्रबंधन कुछ ऐसे मेधावी छात्रों को प्री मेडिकल टेस्ट दिलाते थे, जो पहले से ही शासकीय कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे थे. सीट मिलने के बाद काउंसलिंग के आखिरी वक्त में छात्र सीट नहीं लेते थे, इस तरह से पीएमटी की वह सीट खाली रह जाती थी, जिसे कॉलेज प्रबंधन मनमाने दाम पर बेचता था.
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मेडिकल एजुकेशन के तत्कालीन अफसरों को भी थी धांधली की जानकारी
सीबीआई जांच में जो तथ्य सामने आए उसके मुताबिक मेडिकल एजुकेशन के तत्कालीन अफसरों को भी चिरायु प्रबंधन के इस फर्जीवाड़े की जानकारी थी लेकिन उन्होंने जानबूझकर इसे नजरअंदाज कर दिया. मेडिकल एजुकेशन के अधिकारियों को यह देखना था कि जो लोग पहले से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं, वे दोबारा कैसे एडमिशन ले सकते हैं.
कुल 281 आरोपी
पहले यह मामला एसआईटी संभाल रही थी. साल 2006 से 2010 के बीच फर्जी तरीके से पीएमटी परीक्षा पास करने वालों के खिलाफ एसआईटी ने केस दर्ज किया था. मामले में कुल 276 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. लेकिन चालान पेश नहीं कर पाने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस कांड की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी. सीबीआई ने साल 2015 में इस केस को टेकओवर कर नई एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की. इस धांधली में अब तक कुल 281 आरोपी बनाए जा चुके हैं. अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी.
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