होशंगाबादः आधा सत्र बीतने के बाद भी नहीं मिली ड्रेस, बिना यूनिफॉर्म स्कूल जा रहे छात्र
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh485919

होशंगाबादः आधा सत्र बीतने के बाद भी नहीं मिली ड्रेस, बिना यूनिफॉर्म स्कूल जा रहे छात्र

अधिकारियो का कहना है की चुनाव और अन्य कारणों से स्वसहायता समूहों की महिलाये सिलाई नहींकर सकी 26 जनवरी तक सभी बच्चों को यूनिफार्म मिल जायेगी.  

आधा शिक्षा सत्र बीतने के बाद भी विद्यार्थियो को यूनिफार्म नही मिली है

(पीतांबर जोशी)/होशंगाबादः पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया का नारा चलने वाले मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में शिक्षा की हालात देख ले, यंहा सरकारी स्कूल में पढ़ने 81 हज़ार बच्चों के पास स्कूल यूनिफार्म नहीं है. बच्चों को मुफ्त में दो-दो जोड़ी यूनिफार्म देने के लिए सरकार ने जिले को चार करोड़ रूपये दिए, लेकिन आधा शिक्षा सत्र बीतने के बाद भी विद्यार्थियो को यूनिफार्म नही मिली है. यूनिफार्म 137 स्वसहायता समूहों के जरिये सिलवाना था इसलिए ग्रामीण आजीविका मिशन ने अभी तक जिले के 97 स्वसहायता समूहों को लगभग दो करोड़ रूपये वांट दिए, लेकिन किसी भी समूह ने एक जोड़ी यूनिफार्म भी सिलकर नहीं दी. अधिकारियो का कहना है की चुनाव और अन्य कारणों से स्वसहायता समूहों की महिलायें सिलाई नहींकर सकी 26 जनवरी तक सभी बच्चों को यूनिफार्म मिल जायेगी.  

VIDEO: शिवराज सिंह चौहान के नाम पर पोता दिया पेंट, बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने

पहले बच्चों के खातो में सरकार यूनिफार्म के पैसे डाल देती थी जिससे वे यूनिफार्म खरीद लेते थे. बाद में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने योजना में बदलाब कर आजीविका मिशन के तहत स्वसहायता समूहों को राशि देकर युनिफार्म वनवाने की योजना वना दी थी. ग्रामीण आजीविका मिशन के इंचार्ज आशीष शर्मा के मुताबिक 31 दिसंबर तक पूरा काम होना था लेकिन बीच में चुनाव आ गए और भी कारण रहे इस कारण महिलाओ ने गणवेश सिलाई नहीं कर पाये. निश्चित ही 26 जनवरी तक पूर्ण कर लेंगे . जिले में 81 हज़ार बच्चे है जिन्हें दो दो जोड़ी ड्रेस बटना है. एक ड्रेस के लिए तीन सो रूपये देना है. इसमें अभी चार करोड़ रूपये आया है. इसमें दो करोड़ समूह को जरी कर दिया है. 
fallback

यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' लागू करने की मांग की

बच्चों को स्कूली ड्रेस खरीदने के लिए पहले सरकार सीधे बच्चों के खातो में राशि देती थी . बाद में योजना में बदलाब कर स्वसहायता समूहों से ड्रेस तैयार करवाने के लिए योजना को ग्रामीण आजीविका मिशन जोड़ा गया और तीन सो रूपये प्रति ड्रेस के हिसाब से समूहों को दिए जा रहे है. वही ज्वाइन डारेक्टर लोक शिक्षण नर्मदापुरम् संभाग ने कहा की दो तरह से स्कूल ड्रेस बटना था. एक स्वसहायता समूह से और दुसरा सीधे खातो राशि देकर पूरी रिपोर्ट बुलवाता हूं फिर करवाई के लिए आगे लिखूंगा. 

मिडिल स्कूल प्रभारी प्राचार्य रीता पटेरिया ने बताया की बच्चों को इस वर्ष ड्रेस के पैसे ही नहीं मिला .इसलिए सिविल में आ रहे है. हम लोगो ने मिलकर बच्चों को मोजे दिए है. ड्रेस को लेकर सिर्फ आश्वासन मिला है. वही छात्रों के मुताबिक हमारे पास ड्रेस नहीं है. टीचर कहती है अभी नहीं मिलेगी

Trending news