जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शराब ठेकेदारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए शिवराज सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि जब शराब की दुकानों के खुलने का निर्धारित समय कम कर दिया गया है तो इनके ठेकों की पूर्व निर्धारित रकम क्यों नहीं घटाई जा रही है? आपको बता दें कि लॉकडाउन के चलते राज्य में शराब ठेके 40 दिन बंद रहे.


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लॉकडाउन 3.0 में शराब ठेके खोलने की राज्य सरकार ने अनुमति तो दी लेकिन कठोर शर्तों के साथ. रेड जोन वाले 9 जिलों में से भोपाल, इंदौर और उज्जैन में शराब की दुकानों का खुलना पूरी तरह प्रतिबंधित है. बाकि 6 जिलों जबलपुर, ग्वालियर, खंडवा, धार, बड़वानी और देवास के शहरी क्षेत्रों में शराब की दुकानें नहीं खुल रही हैं. लेकिन इन जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की दुकानें खुल रही हैं. सरकार ने शराब ठेके खोलने की समय सीमा तो घटा दी लेकिन बिड (राशि) कम नहीं की.


इसी मुद्दे को लेकर जबलपुर, छिंदवाड़ा, लखनादौन, सिवनी, भोपाल, टीकमगढ़ सहित कई अन्य जिलों के 30 शराब ठेकेदारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. शराब ठेकेदारों के अधिवक्ता राहुल दिवाकर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट को तर्क दिया कि जब याचिकाकर्ताओं ने संबधित शराब दुकानों के ठेके लिए तो निविदा की शर्तें कुछ और थीं. इनके तहत शराब दुकानों को दिन में 14 घंटे खोलेने की अनुमति थ. दुकान के साथ में शराब पीने के लिए अहाता संचालन की भी अनुमति थी. लेकिन 23 मार्च के बाद से परिस्थितियां बदल गईं हैं.


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अधिवक्ता दिवाकर ने तर्क दिया कि इसके चलते याचिकाकर्ता ठेकेदारों को काफी नुकसान हो रहा है. फिर भी राज्य सरकार ने ठेकों की निर्धारित राशि (बिड) कम करने के लिए कोई पहल नही की है. उन्होंने हाई कोर्ट से याचिकाकर्ताओं के लिए राज्य सरकार की ओर से पूर्व में तय की गई ठेकों की राशि (बिड), उन्हें हो रहे नुकसान के उचित अनुपात में कम करने का आदेश दिए जाने की मांग की. राज्य सरकार का पक्ष महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने रखा. प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में जवाबा मांगा है. 


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