Chhath Puja 2023: छठ महापर्व 4 दिनों तक मनाया जाने वाला त्यौहार है. बिहार और उत्तर भारत में ये बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.
छठ साल में दो बार मनाई जाती है. पहली बार चैत्र महीने में और दूसरी बार कार्तिक महीने में मनाया जाता है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को कार्तिकी छठ के नाम से इसे जाना जाता है.
छठ मनाए जाने के पीछे कई कहानियां प्रचलित है. एक मान्यता के अनुसार भगवान राम और मां सीता जब वनवास से लौटे थे तब सीता जी ने छठ महापर्व को मनाया था.
मान्यता के अनुसार, छठ की शुरूआत महाभारत के समय में हुई थी. ऐसी कथा प्रचलित है कि सबसे पहले इसकी शुरूआत सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी. कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे. सूर्य की कृपा से ही वह एक महान योद्धा बना था.
एक और कथा प्रचलित है कि पांडव सारा राजपाठ हार गए थे तब द्रौपदी ने भी छठ का कठिन व्रत रखा था. इस व्रत से पांडवों की मनोकामना पूर्ण हुई और कहा जाता है उसके बाद पांडवों को उनका खोया हुआ राज-पाठ वापस मिल गया.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टी की उत्पत्ति के समय अपने शरीर को दो भागों में बांटा था. उनके बांए प्रकृति और दांए हिस्से से पुरूष का जन्म हुआ था.
मान्यताओं के अनुसार छठी मैया सूर्य भगवान की बहन और ब्रह्मा जी की मानस पुत्री भी कही जाती हैं. छठी मां को शिशुओं की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है.
इनके गुण धर्म की बात करे तो बच्चों की रक्षा करना इनका स्वाभाविक गुण है. ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा करने से बच्चों को लंबी उम्र और रोग मुक्त रहने का वरदान मिलता है.
ऐसा कहा जाता है कि जिन महिलाओं को संतान नहीं हो पाता, छठी देवी की पूजा से उन्हें संतान की प्राप्ति होती है.
छठी मैया को प्रकृति की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. यह प्रत्यक्ष रुप से प्रकृति की पूजा कर उसको धन्यवाद करने का एक तरीका है.
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