प्रियंका चोपड़े ने दो साल पहले दिल्ली में आयोजित हुई अंतरराष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में ब्राजील और चीन के प्रतिभागियों को हराकर गोल्ड मैडल हासिल किया था.
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इरशाद हिंदुस्तानी/बैतूल: खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने की सरकारी नीति और सरकार के दावे हकीकत में कितने सार्थक हैं. इसकी बानगी बैतूल में देखी जा सकती है. जहां चीन और ब्राजील को कराटे में पटखनी देकर गोल्ड हथियाने वाली एक बेटी को बीते दो साल से अपना खेल सर्टिफिकेट पाने भटकना पड़ रहा है. मजदूरी से अपना पेट काटकर परिवार का पालन कर रहे ओमकार चोपड़े की होनहार बेटी प्रियंका अपना सर्टिफिकेट पाने दो साल से परेशान है. जिसके चलते उसका एकेडमी में एडमिशन नही हो पा रहा है.
दरअसल, बैतूल के हमलापुर इलाके में रहने वाले मजदूर ओमकार चोपड़े के बेटी प्रियंका चोपड़े ने दो साल पहले दिल्ली में आयोजित हुई अंतरराष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में ब्राजील और चीन के प्रतिभागियों को हराकर गोल्ड मैडल हासिल किया था. खेल और युवा कल्याण विभाग की तरफ से इस प्रतियोगिता में शामिल हुई प्रियंका उस समय कक्षा 9 की छात्रा थी. अंतर्राष्ट्रीय खेल महासंघ के बैनर तले आयोजित प्रतियोगिता में उसने गोल्ड मेडल तो हासिल कर लिया. लेकिन, महासंघ ने उसे इस मेडल का सर्टिफिकेट नही भेजा. जिसके चलते प्रियंका को न तो खेल सुविधाओ का लाभ मिल पा रहा है और न ही उसे कराटे एकेडमी में एडमिशन दिया जा रहा है.
प्रियंका और उसके पिता ओमकार के मुताबिक हर जगह उससे सर्टिफिकेट की मांग की जा रही है. लेकिन न तो संघ ने और न ही स्कूल शिक्षा विभाग उसे सर्टिफिकेट दिलाने में मदद कर रहा है. जिसके चलते वह और उसके पिता दो साल से धक्के खा रहे है. मंत्री से लेकर कलेक्टर तक गुहार लगाने के बावजूद उसकी मांग पूरी नही हो पा रही है. हालांकि इस मामले में जिला पंचायत बैतूल के सीईओ और अपर संचालक शिक्षा एमएल त्यागी ने अब कार्रवाई का भरोसा जताया है.