क्या है खासगी ट्रस्ट का इतिहास? जिस पर शिवराज को भी था फैसले का इंतजार
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क्या है खासगी ट्रस्ट का इतिहास? जिस पर शिवराज को भी था फैसले का इंतजार

मध्य प्रदेश की पुरातन और ऐतिहासिक बिल्डिंग्स का लेखाजोखा रखने वाले खासगी ट्रस्ट पर सरकार और जनता के हक की जमीन को बेहद कम दाम में बेचने का आरोप लगा था. 

खासगी ट्रस्ट पर फैसले से शिवराज सरकार खुश

वैभव/इंदौरः मध्य प्रदेश की बहुचर्चित खासगी ट्रस्ट के ऊपर लगे प्रदेश की सम्पत्ति बेचने के आरोप को लेकर इंदौर हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. उन्होंने प्रदेश की जमीनों को प्राइवेट हाथों में बेचे जाने पर फैसला देते हुए मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (EOW) द्वारा जांच करने के आदेश दिए हैं. साथ ही अब जमीनों से खासगी ट्रस्ट की जिम्मेदारी को छिनते हुए राज्य शासन को सौंप दिया गया है. जिस पर प्रदेश की शिवराज सरकार ने फैसले का सम्मान करते हुए आदेश का स्वागत किया है.

हाईकोर्ट का आदेश
इंदौर हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर कहा कि खासगी ट्रस्ट ने देखबाल के बजाए जमीनों को कौड़ियों के दाम में बेच दिया था. जिस पर अब हाईकोर्ट ने जांच कमेटी का गठन करते हुए जांच के आदेश दिए है. साथ ही उन्होंने कहा कि 25 से ज्यादा राज्यों की 250 से ज्यादा संपत्तियों को अब प्रदेश शासन को दे दिया गया है. हाईकोर्ट ने वित्त विभाग के प्रमुख सचिव, संभागायुक्त, मुख्य सचिव व कलेक्टर की कमेठी गठित कर जांच के आदेश दिए है. 

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खासगी ट्रस्ट क्या है?
खासगी ट्रस्ट असल में मध्य प्रदेश सरकार और जनता की ऐतिहासिक जमीन की देखरेख करने वाली संस्था है. जिसे प्रदेश सरकार ने पुरातन जमीनों की देखरेख की जिम्मेदारी दी थी. खासगी ट्रस्ट के पास कुल 246 संपत्तियों की जिम्मेदारी थी, जिनमें 138 मंदिर, 18 धर्मशालाएं, 34 घाट, 12 छतरियां, 24 बगीचे व कुंड शामिल है. ये संपत्तियां देश के विभिन्न राज्यों में स्थापित है. इनमें से अधिकतर संपत्तियों को बेचे जाने और उन पर अवैध निर्माण का मामला सामने आया था.

जिस पर 2012 में पहली बार शिकायत की गई थी, जिसके बाद से इस मामले में जांच की मांग उठी थी. जिस पर अब हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए EOW की जांच के आदेश दिए हैं. जिसे शिवराज सरकार ने भी स्वीकारते हुए फैसले का सम्मान किया है.

जमीन जिसके नाम से थी उसका नाम ही हटा दिया गया 
इंदौर की देवी अहिल्या बाई होलकर ने जिले के हातोद में 52 बावड़ियां का निर्माण करवाया था. जिनमें से ज्यादातर बिल्डिंग्स और कुंडों के आधिकारिक कागजों में से इनके असली मालिक का नाम ही हटा दिया गया. 

अवैध कॉलोनियों और होटलों का हो चुका निर्माण
1. खासगी ट्रस्ट के नाम से देपालपुर में मंगलेश्वर महादेव मंदिर की जमीन पर कब्जा कर प्राइवेट कॉलोनी का निर्माण किया जा चुका है. 

2. फिल्म शूटिंग के लिए मशहूर महेश्वर में पहाड़ी पर स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर की जमीन पर कब्जा कर पहाड़ी के नीचे एक व्यक्ति ने होटल बना रखी है. 

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खासगी ट्रस्ट का इतिहास
साल 1983- आज से लगभग 37 साल पहले राजस्थान के पुष्कर से खासगी ट्रस्ट की जमीनों को बेचने का सिलसिला शुरू हुआ था. इसी साल में वहां स्थित दुकानों और बाड़ों के साथ ही तीन सम्पत्तियों को बेच दिया गया. 

साल 2003- हरिद्वार के कुशावर्त घाट से हनुमान मंदिर के पास लगभग 11 एकड़ से ज्यादा की जमीन को बेच दिया गया था. 

साल 2006 - 2006 में इंदौर की अहिल्याबाई होलकर द्वारा बनाई गई रामेश्वर स्थित ट्रस्ट 14 एकड़ जमीन को महज एक करोड़ रुपये में बेच दिया गया था. जिसकी वास्तविक कीमत इससे कई ज्यादा है.

साल 2009 - इंदौर स्थित होलकर बाड़ा, मंदिर और कुशावर्त घाट की संपत्तियों को बेच दिया गया. जिसके लगभग 3 साल बाद वर्ष 2012 में मध्य प्रदेश सरकार में इस मामले की पहली बार शिकायत दर्ज की गई. 

साल 2012 - इस साल तक इंदौर जिले के हातोद में बने राम मंदिर, बिल्केश्वर मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जा और निर्माण हो चुका था. साथ ही रुक्मिणी कुंड के पास दीवारों को बनाकर इस कुंड को बंद कर दिया गया. इसी साल इंदौर की तत्कालीन सांसद सुमित्रा महाजन को लिखित में इस बात की शिकायत की गई थी.

साल 2020- इंदौर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया है कि 26 राज्यों में 246 संपत्तियां, जो खासगी ट्रस्ट के पास थी. उन्हें अब राज्य शासन को सौंप दिया गया है. साथ ही उन्होंने आदेश दिया है कि आम जनता यहां पहुंच सके, ऐसी व्यवस्था जल्द से जल्द की जाए. 

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