LOCKDOWN ने मजदूरों को शहर छोड़ गांव जाने पर किया मजबूर, कोई पैदल तो कई साइकिल से कर रहा सफर
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LOCKDOWN ने मजदूरों को शहर छोड़ गांव जाने पर किया मजबूर, कोई पैदल तो कई साइकिल से कर रहा सफर

 लॉकडाउन की वजह से मजदूर वर्ग के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. जिसके कारण वो बड़े शहरों को छोड़ अपने गांव जाने को मजबूर हैं. जहां एक मजदूर अपने 9 महीने के बच्चे को लेकर रायपुर से 250 किमी पदयात्रा कर पेंड्रा पहुंचा.

फाइल फोटो

दुर्गेश सिंह बिसेन/ पेंड्रा:  लॉकडाउन की वजह से मजदूर वर्ग के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. जिसके कारण वो बड़े शहरों को छोड़ अपने गांव जाने को मजबूर हैं. जहां एक मजदूर अपने 9 महीने के बच्चे को लेकर रायपुर से 250 किमी पदयात्रा कर पेंड्रा पहुंचा. वहीं 14 साइकिल यात्रियों का मजदूर समूह 700 से 1000 किलोमीटर का सफर तय कर अपने गांव जा रहा है.

पदयात्रा करने वाला मजदूर रायपुर के जी आई तार बनाने वाली कंपनी में काम करता था, जब मकान मालिक ने किराया मांगा तो उसने देने से इंकार कर दिया. जिसके बाद उसे फटकार भी लगाई. मजदूर के मुताबिक, उसके पास ना खाने को है, ना रहने को जगह है इसीलिए वो अपने गांव लौट रहा है.

रोजी रोटी की तलाश में मजदूर की पत्नी भी अपनी 9 महीने की बच्ची और 4 साल के बच्चे को गोद में लेकर 250 किमी की पदयात्रा पर निकल पड़ी. साथ ही मजदूर के बूढ़े-माता-पिता भी पदल जाने को मजबूर हो गए.

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यही हाल रायपुर के फॉर्च्यून इस्पात कंपनी में काम करने वाले उत्तर प्रदेश के 14 मजदूरों का है. उनका कहना है कि हमें काम का पैसा नहीं दिया गया. जिसके बाद उन्होंने साइकिल यात्रा कर गांव जाने का फैसला लिया.

14 मजदूरों के समूहों ने अपनी बचत के पैसों से साइकिल खरीदी और 700 से 1000 किलोमीटर का सफर तय कर अपने-अपने गांव की ओर निकल पड़े. ये सभी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में जाएंगे. इनमें कोई देवरिया, कोई बनारस, कोई चित्रकूट, तो कोई जौनपुर जाएगा.

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