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भोपाल: बालाघाट और मंडला में गरीबों को घटिया चावल बांटने के मामले में सरकार ने बड़ी कार्यवाही की है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने बालाघाट के जिला प्रबंधक को निलंबित किया है. जबकि गुणवत्ता जांच के लिए बालाघाट और मंडला में संविदा पर नियुक्त किए गए इंस्पेक्टर्स के खिलाफ सख्ती दिखाई है. फूड इंस्पेक्टर्स को निलंबित कर दिया है. राज्य सरकार एफसीआई की टीम के साथ गोदामों में रखे चावल के सैंपल जांच के भी आदेश दिए हैं.
क्या था मामला?
आपको बता दें कि बालाघाट और मंडला के आदिवासी बहुल्य जिलों में गोदामों में भरा घटिया चावल बांटा गया था. लगातार मिल रही शिकायत के बाद केंद्र की टीम ने चावलों का परीक्षण किया था. जिसके बाद चावलों की गुणवत्ता जांच की गई. इसमें पाया गया कि जो चावल गरीबों को बांटा गया वह जानवरों को खिलाने लायक था.
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हमलवार हो गई थी कांग्रेस
इस पर कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता ने मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को क्रूर कहा था. उन्होंने मांग की थी कि मामले की जांच होनी चाहिए, दोषी के खिलाफ कार्रवाई भी मांग उन्होंने की थी. जबकि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जिस चावल का वितरण किया गया वो मनुष्य के खाने के योग्य नहीं था, यह केन्द्र सरकार के जांच के उपरांत लिखे एक पत्र के माध्यम से सामने आया है. यह इंसानियत व मानवता को तार-तार करने वाला होकर एक आपराधिक कृत्य भी है. कमलनाथ ने भी दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा था और शिवराज सरकार को इस गलती के लिए जनता से माफी मांगने की भी मांग की थी.
शिवराज के मंत्री को नहीं थी जानकारी
मंडला और बालाघाट में घटिया चावल बांटने का मामला खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है. हालांकि मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने निर्देशित किया है तो निश्चित तौर पर दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी.
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