दाल रोटी, दूध रोटी, खाओ...यहां 100 साल जिंदा रहने का यही है फलसफा
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दाल रोटी, दूध रोटी, खाओ...यहां 100 साल जिंदा रहने का यही है फलसफा

मध्‍य प्रदेश में उज्‍जैन के तराना और सीहोर के इच्‍छावार के बीच का खूबसूरत पर्वतीय, वन इलाका है, जहां पूरे राज्‍य में सबसे ज्‍यादा 100 बरस से अधिक आयु के स्‍वस्‍थ प्रसन्‍नचित्‍त व्‍यक्तियों से मुलाकात होना आमबात है.

उज्‍जैन और सीहोर के बीच का अंचल मध्‍य प्रदेश के कुल भू-भाग (3,08,252 वर्ग किमी) का महज 0.03 प्रतिशत है.(प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

भोपाल: शहरों-महानगरों में आपाधापी और बदलती जीवनशैली के बीच जहां शरीर को चुस्‍त-दुरुस्‍त और निरोग रखना चुनौती बनता जा रहा है वहीं मध्‍य प्रदेश का एक अंचल ऐसा है जहां 100 साल से अधिक आयु तक जीना आम बात है. मध्‍य प्रदेश में उज्‍जैन के तराना और सीहोर के इच्‍छावार के बीच का खूबसूरत पर्वतीय, वन इलाका है, जहां पूरे राज्‍य में सबसे ज्‍यादा 100 बरस से अधिक आयु के स्‍वस्‍थ प्रसन्‍नचित्‍त व्‍यक्तियों से मुलाकात होना आमबात है.

  1. मध्‍य प्रदेश में 100 साल से अधिक वोटरों की संख्‍या 4117
  2. उज्‍जैन और सीहोर के बीच के अंचल में इनकी सर्वाधिक आबादी
  3. उज्‍जैन के निकट तराना में सर्वाधिक 100 से अधिक आयु के 117 बुजुर्ग

राज्‍य में होने जा रहे आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर चुनाव आयोग के मुताबिक मध्‍य प्रदेश में 100 से अधिक उम्र के वोटरों की संख्‍या 4,117 है. लेकिन केवल इस अंचल में इन वोटरों की सर्वाधिक 12 फीसद आबादी रहती है. यह बात इसलिए भी मायने रखती है क्‍योंकि ये बेल्‍ट मध्‍य प्रदेश के कुल भू-भाग (3,08,252 वर्ग किमी) का महज 0.03 प्रतिशत है.

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द टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने इस इलाके का दौरा कर जब 100 से अधिक उम्र पार कर चुके लोगों से उनकी बेहतरीन सेहत का राज पूछा तो ज्‍यादातर लोगों ने मुस्‍कुराते हुए कहा कि वे तो बस दाल-रोटी और दूध रोटी पर निर्भर हैं. इस अंचल के 100 से अधिक उम्र के वोटरों की यदि गणना की जाए तो सर्वाधिक तराना (117) में मिलेंगे. उसके बाद आस्‍था (112), इच्‍छावार (101), सोनकच और सीहोर (68) का स्‍थान है.

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इस रिमोट इलाके में पूछने पर पता चलता है कि यहां मनोरंजन के ज्‍यादा साधन नहीं हैं. मोबाइल वगैरह तो हैं लेकिन लोग एक-दूसरे से मिलने-जुलने में अधिक रुचि रखते हैं. गांवों का दिन में एकाध बार पूरा चक्‍कर लगा आना आम बात है. तकनीक अभी जिंदगी पर हावी नहीं है. ऐशो-आराम के ज्‍यादा साधन नहीं होने के बावजूद लोगों को कोई तकलीफ नहीं है. सादा जीवन और मेहनतकश शरीर ही इनकी बेहतर सेहत और लंबी उम्र का राज है.

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