1996 में भोपाल में मध्यप्रदेश के विधायकों को नया भवन मिला. तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसका उद्घाटन किया. इस भवन का नाम इंदिरा गांधी विधान भवन रखा गया. इस भवन को मशहूर डिजाइनर चार्ल्स कोरिया ने डिजाइन किया था. लेकिन इस नए भवन की राह इतनी आसान नहीं रही.
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नई दिल्ली : 1 नवम्बर, 1956 को मध्यप्रदेश अपने अस्तित्व में आया. विन्ध्यप्रदेश, मध्यभारत, महाकौशल और भोपाल राज्य की विधानसभाओं को मिलाकर मध्यप्रदेश की पहली विधानसभा बनी. मिंटो हॉल को पहली विधानसभा बनाया गया. 1996 तक मध्यप्रदेश की यही विधानसभा रही. लेकिन उससे पहले 1980 में इस बात की जरूरत महसूस होने लगी थी कि मध्यप्रदेश विधानसभा को नया भवन मिलना चाहिए. 1996 में भोपाल में मध्यप्रदेश के विधायकों को नया भवन मिला. तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसका उद्घाटन किया. इस भवन का नाम इंदिरा गांधी विधान भवन रखा गया. इस भवन को मशहूर डिजाइनर चार्ल्स कोरिया ने डिजाइन किया था. लेकिन इस नए भवन की राह इतनी आसान नहीं रही.
1980 में ही मिंटो हॉल पड़ने लगा था छोटा
पहले मिंटो हॉल मध्यप्रदेश विधानसभा का भवन हुआ करता था. बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर 1980 तक नए भवन की जरूरत महसूस होने लगी. इसी बात को ध्यान में रखते हुए भोपाल में अरेरा पहाड़ी पर बिड़ला मंदिर और राज्य मंत्रालय के बीच 14 मार्च, 1981 को तत्कालीन लोक सभा अध्यक्ष श्री बलराम जाखड़ के हाथों नए विधानसभा भवन का शिलान्यास हुआ. 17 सितम्बर, 1984 को इस नये भवन का निर्माण प्रारंभ हुआ.
चार्ल्स कोरिया को सौंपी गई इसके डिजाइन की जिम्मेदारी
मध्यप्रदेश विधानसभा के नए भवन को डिजाइन करने की जिम्मेदारी मशहूर डिजाइनर चार्ल्स कोरिया को सौंपी गई. 1 सितंबर 1930 सिकंदराबाद में जन्मे चार्ल्स कोरिया की गिनती ऐसी शख्सियतों में होती है, जिन्होंने आधुनिक भारत को अपनी कल्पनाओं की शक्ल दी. 19772 में चार्ल्स कोरिया को पद्मश्री से नवाजा गया. 2006 में उन्हें पद्मविभूषण दिया गया.
मध्यप्रदेश विधानसभा को डिजाइन करने से पहले चार्ल्स कोरिया ने देश की कई बड़ी इमारतों को डिजाइन कर चुके थे. उन्होंने सबसे पहले और बड़ा काम 1958-63 में अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी म्यूजियम को तैयार कर किया. इसके बाद उन्हें मध्यप्रदेश विधानसभा को डिजाइन करने की जिम्मेदारी मिली. नई दिल्ली में नेशनल क्राफ्ट म्यूजियम को डिजाइन करने का क्रेडिट भी उन्हीं के पास है. 1982 में भोपाल में भारत भवन उन्हीं की डिजाइन पर बनाया गया. जयपुर में जवाहर कला केंद्र को भी चार्ल्स कोरिया ने ही डिजाइन किया था.
12 साल लग गए विधानसभा बनने में और बजट बढ़ा सो अलग
मप्र की नई विधानसभा का निर्माण 17 सितम्बर, 1984 में प्रारंभ हुआ. लेकिन इसका निर्माण काम बेहद धीमी गति से हुआ. इसके लिए कई तरह की रुकावटों को भी जिम्मेदार माना जाता है. 1994 तक भी जब काम पूरा नहीं हुआ तो तत्कालीन सरकार ने काम में तेजी लाने के लिए एक समिति का गठन किया. साथ ही काम को पूरा करने के लिए 18 महीने का टाइम दिया. समिति ने निर्माण में आ रही रुकावटों को दूर किया और नए भवन का निर्माण पूरा कर दिया. भवन की प्रारम्भिक लागत 10 करोड़ रुपए थी, लेकिन 12 वषों में बनते-बनते इसमें आंतरिक साजसज्जा, फर्नीचर, आधुनिक साउंड सिस्टम, वातानुकूलन, आधुनिक कैफेटेरिया एवं बगीचों का निर्माण व अन्य सुविधाओं को शामिल करने से इसकी लागत लगभग 54 करोड़ रूपये हो गई है. नए भवन का उद्घाटन दिनांक 3 अगस्त, 1996 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा के हाथों हुआ.
हर बार उठते हैं वास्तुदोष पर सवाल
मध्य प्रदेश की नई विधानसभा इमारत पर हर बार वास्तुदोष के सवाल उठाए जाते हैं. 1996 के बाद इसके सभी कार्यकाल में किसी न किसी विधायक का निधन हुआ है. इस कारण इसे दूर करने के लिए पूजा अनुष्ठान भी किए गए हैं. इस बार की विधानसभा की बात करें तो 2013 में ही विधानसभा चुनाव के बाद चुने गए 6 विधायकों की अब तक मौत हो चुकी है, इनमें प्रभात पांडे, राजेश यादव, तुकोजीराव पवार, सज्जन सिंह उइके, राजेन्द्र सिंह दादू और सत्यदेव कटारे शामिल हैं. वास्तुदोष खत्म करने के लिए पूजा-पाठ और अन्य अनुष्ठान भी करवाए गए हैं.