सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल: मुस्लिम परिवार ने मंदिर में किया 'बेटी' का विवाह
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सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल: मुस्लिम परिवार ने मंदिर में किया 'बेटी' का विवाह

इन दिनों देश में भले ही कुछ लोग अपनी बयानबाजी से सांप्रदायिक सद्भाव पर प्रहार कर रहे हों, मगर मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के एक मुस्लिम परिवार ने न केवल एक लावारिस मिली हिंदू बच्ची का पालन-पोषण किया, बल्कि उसकी हिंदू रीति-रिवाज के साथ मंदिर में शादी कर सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश की।

भोपाल : इन दिनों देश में भले ही कुछ लोग अपनी बयानबाजी से सांप्रदायिक सद्भाव पर प्रहार कर रहे हों, मगर मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के एक मुस्लिम परिवार ने न केवल एक लावारिस मिली हिंदू बच्ची का पालन-पोषण किया, बल्कि उसकी हिंदू रीति-रिवाज के साथ मंदिर में शादी कर सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश की।

राज्य की राजधानी भोपाल के करीब नर्मदा नदी के बुदनी घाट के करीब बने राम-जानकी मंदिर का शनिवार रात का नजारा आम दिनों से अलग था। वहां एक मुस्लिम परिवार एक अनाथ युवती का हिंदू-रीति रिवाज से विवाह कर रहा था। लगभग 15 साल पहले बरखेड़ा रेलवे स्टेशन पर शारदा नाम की लड़की लावारिस हालत में इस परिवार को मिली थी। लड़की के शरीर पर काफी जख्म थे और उसे अपनाने को कोई तैयार नहीं हो रहा था। तब इस लड़की को रायसेन जिले के गौहरगंज की एक संस्था को सौंप दिया गया।

इस संस्था ने शारदा का लालन-पालन अपने परिवार की बेटी की तरह किया। संस्था संचालकों ने शारदा को बेटी की तरह पाला और उसकी पढ़ाई में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। उसे ब्यूटीशियन के कोर्स के लिए भोपाल भी भेजा गया। उसके बाद शारदा का घर बसाने के लिए प्रयास तेज कर दिए। परिवार ने शारदा के लिए गौहरगंज तहसील के ही अम्बाई गांव में योग्य वर के तौर पर दुर्गाप्रसाद पटेल को ढूंढ़ा। शारदा शनिवार को दुर्गाप्रसाद के साथ परिणय सूत्र में बंध गई। सभी रीति-रिवाजों राम जानकी मंदिर में निभाया गया. वैदिक मंत्र गूंजे और शारदा का कन्यादान मुस्लिम परिवार ने किया। यह मौका हर किसी को भावुक कर देने वाला था, क्योंकि एक हिंदू युवती की मांग में मुस्लिम परिवार सिंदूर भर रहा था।

डॉ. नूरुन्निसा कहती हैं कि उन्होंने शारदा का पालन-पोषण अपने अन्य बच्चों की तरह किया, आज वे उसका विवाह भी कर रही हैं। विवाह कराने वाले पंडित मनोहर लाल कहते हैं कि मुस्लिम परिवार द्वारा एक युवती का हिंदू रीति-रिवाज से विवाह कराना सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल बन गई है। इस विवाह से हिंदू और मुस्लिम परिवार आपस में रिश्तेदार बन गए हैं। शारदा और दुर्गाप्रसाद की शादी कौमी एकता की मिसाल बन गई है। हिंदू रीति-रिवाज से एक मुस्लिम परिवार द्वारा युवती का विवाह उन लोगों के लिए एक सीख है, जो धर्म के नाम पर इंसानों को लड़ाने में भरोसा करते हैं।

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