आदिवासी किसानों का कारनामाः बनाई बिना ईंधन-बिजली से चलने वाली सिंचाई मशीन
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आदिवासी किसानों का कारनामाः बनाई बिना ईंधन-बिजली से चलने वाली सिंचाई मशीन

मंडला जिले के दो आदिवासी किसानों ने फसलों की सिंचाई के लिए एक ऐसी मशीन बनाई है जो बिना बिजली और ईंधन के चलती है. इस मशीन को जो भी देखता है वह किसानों की जमकर तारीफ करता है

मशीन के साथ दोनों किसान

मंडलाः कहते हैं कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है. कुछ ऐसा ही आविष्कार किया है मंडला जिले के दो किसानों ने. जिन्होंने साबित कर दिया कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती. दोनों ने मिलकर देशी जुगाड़ की तकनीक से न सिर्फ अपना फायदा किया, बल्कि दूसरे किसानों के लिए भी एक ऐसी मशीन तैयार कर दी, जिससे खेतों में फसलों की सिंचाई बिना ईंधन और बिजली खर्च किए ही की जा सकती है. इन दोनों किसानों ने वो काम किया है जो दूसरे किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है यही वजह है कि इस मशीन को बेहद पंसद किया जा रहा है. 

जुगाड़ से बनाई सिंचाई मशीन 
मंडला जिले के एक छोटे से गांव अलीराजपुर में रहने वाले दो देहाती किसान जिसमे संयोग की बात यह है कि दोनों का नाम भी शिव कुमार धुर्वें है. जब भी खेतो में सिंचाई करने के लिए जाते तो अक्सर बिजली गुल हो जाती, जबकि डीजल की लागत ज्यादा रहती थी. ऐसे में दोनो ने सोचा कि वो खुद ही ऐसा कुछ करेंगे जो दूसरों के लिए भी काम आ जाए, बस फिर क्या था उन्होंने ऐसी मशीन बनाने के बारे में सोचा जिसमें बिजली और ईंधन की जरुरत ही न हो और दोनों मशीन बनाने में जुट गए. 

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ऐसे बनाई मशीन 
दोनों किसानों ने बताया कि मशीन बनाने के लिए उन्होंने एक वॉटर व्हील खरीदा और उसे जरूरत के मुताबिक छोटे या बड़े गियर बॉक्स से जोड़ दिया, जिसके बाद उसे बीच नहर में रखा तो यह मशीन बहते हुए पानी की धारा से किसी इंजन मोटर की तरह तेज स्पीड में चक्कर बनाने लगी, जिससे इसमें करीब 30 हॉर्स पावर तक ऊर्जा पैदा हुई पानी पाइप के जरिए बाहर आने लगा. इस मशीन के तैयार होने के बाद इन्हे सिंचाई करने के लिए ना बिजली और डीजल इन दोनो की चिंता नही करनी पड़ती है. 

50 से 60 हजार रुपए आयी लागत 
दोनों किसानों को यह मशीन बनाने के लिए महज 50 से 60 हजार रुपए का खर्चा ही आया. इस मशीन को देखकर हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है. खास बात यह है कि मशीन का वजन भी इतना हल्का है कि उसे कही भी आसानी से उठाकर ले जाया जा सकता है. जबकि बिना बिजली और ईंधन के चलने से इस मशीन से पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं हो रहा है. 

किसानों की हो रही जमकर तारीफ 
इस आविष्कार की जानकारी जब मंडला जिला प्रशासन को लगी तो खुद कलेक्टर मशीन को देखने पहुंचे और दोनों किसानों की जमकर तारीफ की. कलेक्टर हार्षिका सिंह ने कि इस मशीन को आगे बढ़ाने के लिए एक टीम को बुलाया जाएगा और इस बात को समझा जाएगा इसमें और क्या इनोवेशन किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि दोनों किसानों ने मशीन को बनाने में बहुत मेहनत की है इसलिए इसकी तकनीक और डिजाइन को कृषि विभाग में भेजा जाएगा ताकि इसका इस्तेमाल दूसरे किसान भी कर सके. वही इस आविष्कार के बाद दोनों किसानों की जमकर तारीफ हो रही है और सभी इस मशीन को देखने पहुंच रहे हैं. 

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