यह जिला कल तय कर देगा चंबल का सियासी भविष्य, पंजा रहेगा मजबूत या खिलेगा कमल
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यह जिला कल तय कर देगा चंबल का सियासी भविष्य, पंजा रहेगा मजबूत या खिलेगा कमल

10 नवंबर के चुनावी नतीजों में मुरैना जिले पर भी सबकी नजरे हैं. यहां एक साथ 5 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं. इन सीटों के नतीजे चंबल अंचल की राजनीति में बेहद अमह माने जा रहे हैं. 

फाइल फोटो

मुरैनाः मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के नतीजों आने में अब 24 घंटे का समय भी नहीं बचा है. ये नतीजे ही प्रदेश की राजनीति में सबसे अहम माने जा रहे हैं. लेकिन एक जिला ऐसा भी जहां सबकी नजरे हैं. बात कर रहे है चंबल अंचल के सियासी केंद्र माने जाने वाले मुरैना जिले की क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में इस जिले की सभी 6 सीटें जीतकर कांग्रेस ने यहां बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया था. लेकिन 15 महीने में ही हालत कुछ ऐसे बदले की एक कांग्रेसी विधायक का निधन हो गया और चार विधायकों ने इस्तीफा दे दिया. जिससे चंबल की संबलगढ़ सीट को छोड़कर मुरैना, दिमनी, अंबाह, जौरा व सुमावली विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए है. जिनके नतीजे चंबल की सियासत में बेहद अहम माने जा रहे हैं. 

मुरैना में पहली बार हुए इतने उपचुनाव 
मुरैना जिले में पहली बार एक साथ इतने उपचुनाव हुए हैं. यहां के चार विधायकों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया और सभी बीजेपी में शामिल हो गए. जिनमें ऐंदल सिंह कंसाना, रघुराज सिंह कंसाना, गिर्राज डण्डौतिया और कमलेश जाटव शामिल थे. जिनमें से ऐंदल सिंह कंसाना और गिर्राज डण्डौतिया को शिवराज सरकार में मंत्री भी बनाया गया और दोनों नेता मंत्री पद पर रहते हुए चुनाव मैदान में उतरे. 

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चंबल का सियासी केंद्र है मुरैना 
मुरैना जिला चंबल अंचल का सियासी केंद्र माना जाता है. यहां के नतीजे प्रदेश की सियासत में अहम माने जाते हैं. 2018 में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी में चंबल का योगदान अहम रहा था. जबकि यही के विधायकों की बगावत ने कांग्रेस की सरकार गिरा भी दी. ऐसे में अब शिवराज सरकार का सियासी भविष्य बहुत हद तक मुरैना की इन पांच सीटों भी निर्भर है. 

नरेंद्र सिंह तोमर का संसदीय क्षेत्र है मुरैना
मुरैना जिला केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संसदीय क्षेत्र है. लिहाजा यहां उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर है. तोमर ने यहां ताबड़तोड़ प्रचार किया. वे सभी पांचों बीजेपी प्रत्याशियों को समर्थन में सभाएं करते रहे. ऐसे में अगर कल के नतीजे बीजेपी के पक्ष में रहे तो नरेंद्र सिंह तोमर का सियासी कद और बढ़ सकता है. 

सिंधिया का हैं क्षेत्र में दबदबा
ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुरैना जिले में अच्छा दबदबा माना जाता है. गिर्राज डण्डौतियां, रघुराज सिंह कंसाना और कमलेश जाटव उनके कट्टर समर्थक माने जाते हैं. लिहाजा इन नेताओं को जिताने की जिम्मेदारी सिंधिया की है. सिंधिया यहां लगातार मैदान में डटे रहे हैं. जिससे मुरैना जिले के नतीजे सिंधिया के लिए बेहद अहम माने जा रहे है जो इस क्षेत्र में उनके दबदबे से जोड़कर देखें जा रहे हैं. 

जौरा में कांग्रेस विधायक के निधन से बनी उपचुनाव की स्थिति 
हालांकि मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन के चलते उपचुनाव हुए हैं. यहां बीजेपी के सूबेदार रजोधा का मुकाबला कांग्रेस के पंकज उपाध्याय से हुआ है. लेकिन इस सीट पर बसपा की अच्छी पकड़ होने से यहां भी मुकाबला कड़ा हुआ है. 

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