Vidhan Sabha chunav: किसी की सगी नहीं चंबल की ये सीट, यहां वोटर्स की सर्वेसर्वा, देखें इतिहास के दिलचस्प आंकड़े
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Vidhan Sabha chunav: किसी की सगी नहीं चंबल की ये सीट, यहां वोटर्स की सर्वेसर्वा, देखें इतिहास के दिलचस्प आंकड़े

Joura Vidhan Sabha Seat: साल 1977 में अस्तित्व में आई मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सीट राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण रही है. मजेदार बात यह है कि यह सीट कभी किसी राजनीतिक दल का गढ़ नहीं रही. यहां वोटर्स ही निर्णायक भूमिका में हैं. 

 

Vidhan Sabha chunav: किसी की सगी नहीं चंबल की ये सीट, यहां वोटर्स की सर्वेसर्वा, देखें इतिहास के दिलचस्प आंकड़े

Joura Vidhan Sabha Seat: साल 1977 में अस्तित्व में आई मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सीट राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण रही है. 2020 में यह सीट उस समय काफी चर्चा में रही जब यहां उपचुनाव हुए. हालांकि, यहां उपचुनाव दल बदल की वजह से नहीं, बल्कि 2018 में जीते कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा का निधन हो जाने के बाद हुआ. उपचुनाव में यह सीट भाजपा के पाले में चली गई, सीट से पार्टी के अपने पुराने नेता पर दांव आजमाया और सूबेदार सिंह (रजौधा) विधायक चुने गए. 

बहरहाल, राज्य में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. मुरैना जिला केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का गढ़ माना जाता है. जौरा विधानसभा सीट की बात की जाए तो यहां भाजपा हो या कांग्रेस किसी का भी एकाधिकार नहीं रहा. मजे की बात यह है कि 2008 तक यहां बहुजन समाज पार्टी का दबदबा था. इस सीट पर 4 बार कांग्रेस, 3 बार बसपा और 2 बार भाजपा को जीत मिली है. 

जातीय समीकरण
करीब सवा दो लाख वोटों वाले जौरा विधानसभा क्षेत्र में राजपूत, ब्राह्मण, धाकड़ और दलित वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जौरा में 25 से 30 हजार पारंपरिक दलित वोट बैंक की बदौलत बसपा हमेशा से यहां मजबूत रही है. यही वजह है कि यहां बीएसपी तीन पर जीत चुकी है. यहां करीब 30 हजार राजपूत,  करीब 50 हजार ब्राह्मण और करीब 25 हजार धाकड़ वोट हैं. 

वोटों की संख्या 
जौरा विधानसभा सीट में वोटों की संख्या की बात की जाए तो चुनाव आयोग की ओर से 2018 में जारी किए गए आंकड़ों के हिसाब से यहां 2.42 लाख वोटर हैं. इसमें करीब 54% से ज्यादा पुरुष वोटर और 45% से ज्यादा महिला वोटर हैं.  

जौरा सीट का इतिहास
अगर सीट के इतिहास की बात की जाए तो यह सीट 1977 में अस्तित्व में आई थी. तब से यहां 11 बार चुनाव हो चुके हैं. पहले चुनाव में  यहां जनता दल के सूबेदार सिंह चुनाव जीते. 1980 में मध्य प्रदेश मध्यवर्ती चुनाव में यह सीट कांग्रेस के पाले में चली गई. इस सीट से अब तक कांग्रेस 4 बार, बसपा 3 बार और भाजपा 2 बार जीत चुकी हैं. वर्तमान में यह सीट भाजपा के पास है.

एक नजर में अब तक विधायक

साल                          विधायक                            पार्टी
1977                      सुबेदार सिंह                      JNP
1980                     रामचंरण लाल मिश्रा                INC
1985                 महेश दत्त मिश्रा      INC
1990                  सुबेदार सिंह                           JD
1993               सोने राम कुशवाह                  BSP
1998         सोनराम कुशवाह              BSP
2003      उम्मेद सिंह बना          INC
2008       मनीराम धाकड़               BSP
2013     सुबेदार सिंह           BJP
2018      बनवारी लाल शर्मा                      कांग्रेस
2020      सूबेदार सिंह राजौधा                 भाजपा

आखिरी चुनाव की स्थिति
2020 में हुए उपचुनाव में 68 साल के सूबेदार सिंह रजौधा ने भाजपा को जीत दिलाते हुए कांग्रेस के युवा नेता पंकज उपाध्याय को 13,478 वोटों से हराया था. इस चुनाव में बसपा के पूर्व विधायक सोनेराम कुशवाह तीसरे नंबर पर रहे. सूबेदार सिंह को 67,599 और पंकजा उपाध्याय को 54,121 वोट मिले, जबकि तीसरे नंबर पर रहे सोनेराम को भी 48,285 वोट मिले. उपचुनाव मुकाबला त्रिकोणीय था.  

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