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सालों से रहस्य बना हुआ है MP का यह 'बैलेसिंग रॉक', बड़े से बड़ा भूकंप भी नहीं बिगाड़ पाया कुछ; जानिए

Balancing Rock Jabalpur: मध्य प्रदेश के जबलपुर में  ग्रेनाइट चट्टान को देखकर कोई भी हक्का बक्का रह जाएगा. कई कुंटल की चट्टान अपने आकार और बैलेंस को लेकर इंटरनेट पर चर्चा का विषय बनी रहती है. इस रहस्य को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं.

 

गुरुत्वाकर्षण बल पर टिकी है चट्टान

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गुरुत्वाकर्षण बल पर टिकी है चट्टान

इस रहस्यमयी अजूबे को विशेषज्ञों ने सुलझाने कि कोशिश की है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक चट्टान के ऊपर दूसरी  बैलेंसिंग चट्टान अपने गुरुत्वाकर्षण बल के कारण इतने समय से टिकी हुई है.  

 

भूकंप से भी नहीं हिला चट्टान

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भूकंप से भी नहीं हिला चट्टान

बैलेंसिंग रॉक के पास खड़े होकर देखने मात्र से लगता है कि अब यह गिरने वाली है. आज तक तेज बारिश,  6.2 तीव्रता का भूकंप और आंधी-तूफान ग्रेनाइट चट्टान को हिला नहीं पाया है.

 

दूर-दूर से आते हैं लोग

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दूर-दूर से आते हैं लोग

जबलपुर की बैलेंसिंग रॉक पर्यटन के लिए प्रकृति का नायब तोहफा है, इस प्राकृतिक धरोहर के दिवाने लोग देश-दुनिया के कौने से बड़ी संख्या में इसका दीदार करने आते हैं.

 

बाउंड्री से किया गया है सुरक्षित

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बाउंड्री से किया गया है सुरक्षित

ग्रेनाइट चट्टान कि चारों ओर से बाउंड्री बनाकर इस धरोहर को बचाए रखा गाया हैं. आँखों देखे इस नायब अजूबे के साथ सेल्फी लेना कोई पर्यटक नहीं भूलता हैं. 

 

तूफान से भी नहीं पड़ता है फर्क

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तूफान से भी नहीं पड़ता है फर्क

साल 1997 में 22 मई को 6.2 की तीव्रता से भूकंप आया था. भूकंप से भारी तबाही मचा गई थी.  शहर कि इमारतें जमींदोज हो गए थी.  भारी तबाही में मासूम लोगों कि जान चली गई थीं लेकिन बैलेंसिंग रॉक को झटकों से कोई फर्क नहीं पड़ा था. 

 

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जबलपुर शहर में रानी दुर्गावती के किले के पास ग्रेनाइट चट्टान बैलेंस कर रही है. विश्व में एशिया के तीन बैलेंस रॉक सिर्फ भारत में ही हैं. 

 

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विशालकाय  ग्रेनाइट चट्टान का इतने समय से  बैलेंस करना अपने आप में ही दुर्लभ बात है.