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क्या है खंडवा के 'गीहर' की खासियत,जिसके बिना अधूरी है सिंधी समाज की होली; 70 सालों से चली आ रही परंपरा

MP Food: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में सिंधी समाज द्वारा होली के त्योहार 70 सालों से गीहर बनाने की परंपरा चली आ रही है. गीहर एक विशेष तरह की मिठाई है, जिसे शगुन के तौर पर भेजा जाता है. जानिए इस परंपरा और विशेष व्यंजन के बारे में- 

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Holi Food/Khandwa News: भारत विविधताओं का देश हैं. यहां खानपान, रहन-सहन संस्कृति और त्योहार के दौरान बनाई जाने वाली मिठाइयों में भी विविधताएं नजर आती हैं. ऐसी ही एक विविधता सिंधी समाज में भी है, जो होली के पर्व पर विशेष व्यंजन के रूप में दिखाई देती है. MP के खंडवा जिले में सिंधी समाज द्वारा रंगों के त्योहार पर गीहर मिठाई बनाने और शगुन के तौर पर बहन-बेटियों और रिश्तेदारों को भेजने की परंपरा है. इस परंपरा को सिंधी समाज 70 सालों से निभाते चला आ रहा है. जानिए इसके बारे में- 

क्या है गीहर

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क्या है गीहर

क्या है गीहर- गीहर जलेबी का ही एक रूप है. जलेबी छोटी होती है लेकिन गीहर बड़ा. इसे शुद्ध देसी घी में बनाए जाता है. इस पकवान में  केसर और ड्राई फ्रूट भी डाले जाते हैं, जो कि इसे ज्यादा समय तक ताजा और स्वादिष्ट बनाए रखते हैं.

शगुन की मिठाई

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शगुन की मिठाई

शगुन की मिठाई- गीहर सिंधी समाज में होली पर्व के शगुन की मिठाई है. सिंधी समाज में  इस खास मिठाई से ही होली पर मुंह मीठा कराया जाता है. होली के 15 दिन पहले से ही गीहर बनने की शुरुआत हो जाती है. समाज के लोग इसे ऑर्डर देकर भी बनवाते हैं.

क्विंटलों में बन रही गीहर

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क्विंटलों में बन रही गीहर

क्विंटलों में बन रही गीहर-  होली के पर्व पर खंडवा जिले में 2 हजार किलो से अधिक की गीहर मिठाई बनकर तैयार होती है. खंडवा और आसपास के जिलों के अलावा महाराष्ट्र, गुजरात और अन्य स्थानों पर भी गीहर भेजी जाती है. गीहर  मिठाई के खंडवा में ही 25 से अधिक स्टॉल लगते हैं. होली के दिन भी इसकी खूब डिमांड होती है. यह व्यंजन न केवल सिंधी समाज बल्कि अन्य समाज के लोग भी खूब खरीदते हैं.

70 सालों से चली आ रही परंपरा

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70 सालों से चली आ रही परंपरा

70 सालों से चली आ रही परंपरा- रंगों के पर्व होली पर सिंधी समाज में गीहर मिठाई बनाने और शगुन के तौर पर बहन-बेटियों और रिश्तेदारों को भेजने की परंपरा है. ये परंपरा  70 साल से अधिक समय से चली आ रही है. 

ड्रायफ्रूट्स के समोसे

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ड्रायफ्रूट्स के समोसे

ड्रायफ्रूट्स के समोसे- गीहर के साथ-साथ ड्रायफ्रूट्स से बने मीठे समोसे भेजने की भी परंपरा है. ड्राई फ्रूट के समोसे भी होली के उत्सव को अलग रंग देते हैं.

गीहर के बिना अधूरी है होली

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गीहर के बिना अधूरी है होली

गीहर के बिना अधूरी है होली- सिंधी समाज के लोगों ने बताया कि जिस तरह से दिवाली पर गिफ्ट और मिठाई देने का रिवाज हर समाज में है, ठीक उसी तरह सिंधी समाज में होली पर गीहर और ड्रायफ्रूट्स से बने मीठे समोसे शगुन के रूप में बहन-बेटियों और रिश्तेदारों को भेजे जाने की परंपरा है. इसके बिना सिंधी समाज की होली अधूरी मानी जाती है. 

रिपोर्ट- खंडवा से प्रमोद सिन्हा की रिपोर्ट, ZEE मीडिया