अक्षय तृतीया पर इस मंत्र और विधि से करें कलश पूजन, सोने की तरह चमक जाएगी किस्मत
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अक्षय तृतीया पर इस मंत्र और विधि से करें कलश पूजन, सोने की तरह चमक जाएगी किस्मत

हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को सर्वमान्य तिथि माना जाता है. इस दिन लोग बिना मुहूर्त देखे ही किसी कार्य की शुरूआत कर सकते हैं. इस दिन किए गए पूजन से हम अपने जीवन में आने वाली परेशानियों  को खत्म सकते हैं. आइए ज्योतिष मर्मज्ञ -श्रीनाथ प्रपनाचार्य से जानते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन किस मंत्र से कलश पूजन करने से हमारी किस्मत बदल जाएगी. और हम वर्ष भर खुशहाल रहेंगे. 

अक्षय तृतीया पर इस मंत्र और विधि से करें कलश पूजन, सोने की तरह चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya Puja Vidhi 2023: हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन सर्वसिद्धि योग होता है. अक्षय तृतीया वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को मनाया जाता है. आइए ज्योतिष मर्मज्ञ- आचार्य श्रीनाथ प्रपन्नाचार्य से जानते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन शुभ मुहूर्त में किस मंत्र से पूजा करेंगे तो हमारी किस्मत बदल सकती है. जिससे हमारे जीवन में आने वाली परेशानियां दूर हो सकती है.

इस मंत्र से करें पूजन
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया के दिन व्रत रखने की परंपरा है. जो व्यक्ति इस दिन व्रत रहते हैं, वे सूर्योदय से पहले स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें. इसके बाद अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराने के बाद पंचामृत से स्नान करवायें, पुनः गंगाजल से स्नान करावें. अब भगवान विष्णु की प्रतिमा पर तुलसी और पीले फूलों की माला अर्पित करें.  इसके बाद दीप और धूपबत्ती  जलाकर पीले आसन पर बैठ जाएं और श्री विष्णुसहस्त्रनाम स्त्रोत्र और विष्णु चालीसा का पाठ करें. इसके बाद भगवान विष्णु जी की आरती करें. इस दिन धन प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी के मंत्र - 'ॐ महालक्ष्म्यै  च विद्महे विष्णु पत्न्यै च  धीमहि तन्नौ लक्ष्मी प्रचोदयात्' का जप करें.

इस प्रकार करें कलश स्थापना
अक्षय तृतीया के दिन कलश पूजन करने का विशेष महत्व हो इसलिए है. धार्मिक मान्यता अनुसार इस दिन बिना कलश के की गई पूजा अधूरी मानी जाती है. कलश अक्षय तृतीया पर संकल्प का प्रतीक है. अक्षय तृतीया के दिन स्नान करने के बाद कलश में पानी भरें फिर उसे आम के पत्तों से सजाएं. और उसके ऊपर किसी पात्र में अनाज को रखें और स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं. इस दौरान कलश स्थापना मंत्र 'कलशस्य मुखे विष्णु कंठे रुद्र समाश्रिता: मूलेतस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मात्र गणा स्मृता:' का जप करें. इस विधि से कलश पूजन करने से वर्ष भर संकट नहीं आती है और घर में खुशहाली रहती है.

इसलिए होती है अक्षय तृतीया पर कलश पूजन
मान्यता है कि भगवान कृष्ण की वजह से द्रौपदी को अक्षय कलश की प्राप्ति हुई थी. मान्यता अनुसार भगवान कृष्ण के पदचिन्हों में कलश की आकृति उभरती थी. इसलिए आज भी वृंदावन में इस तिथि पर वहां पादुका के दर्शन होते हैं. इसी दिन सागर मंथन की शुरुआत भी हुई थी. उसमें से निकलने वाला अमृत कलश पात्र में ही भरा था. कहते हैं कि कलश में 33 हजार करोड़ देवी- देविताओं का वास होता है. अक्षय तृतीया के दिन ही राजा जनक को माता सीता हल जोतते वक्त कलश में मिली थीं. 

इन वस्तुओं का करें दान
अक्षय तृतीया पर दान करना बहुत लाभकारी होता है. अक्षय तृतीया के दिन ज्वार, सत्तू, तिल और चावल का दान महत्वपूर्ण है शास्त्रों में गेहूं को सोने के समान महत्वपूर्ण माना गया है. इसलिए अन्न दान महत्वपूर्ण है. अक्षय तृतीया के दिन वस्‍त्रों का दान करना भी बेहद शुभफलदायी माना गया है. ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन खरीदे गए सोने के आभूषण से कभी आर्थिक तंगी नहीं आती है.

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(disclamer: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है)
   

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