MP की सियासत के लिहाज से अमित शाह दौरा अहम, संगठन-पार्टी में हो सकते हैं बड़े बदलाव!
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MP की सियासत के लिहाज से अमित शाह दौरा अहम, संगठन-पार्टी में हो सकते हैं बड़े बदलाव!

अमित शाह कल मध्य प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद शाह का यह मध्य प्रदेश दौरा बेहद अहम मान जा रहा है. बताया जा रहा है कि अमित शाह बीजेपी के सभी बड़े नेताओं के साथ बैठक करेंगे. 

MP की सियासत के लिहाज से अमित शाह दौरा अहम, संगठन-पार्टी में हो सकते हैं बड़े बदलाव!

भोपाल। केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह 22 अगस्त को मध्य प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं. भोपाल में पूरा प्रशासन अलर्ट है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर संगठन तक सभी शाह की आगवानी की तैयारी में जुटे हैं. इसलिए मध्य प्रदेश की सियासत के लिए अगले दो दिन बेहद अहम है. शाह भोपाल में इंटर स्टेट काउंसिल की बैठक में शामिल होंगे इस लिहाज से शाह का दौरा सरकारी है, लेकिन निकाय और पंचायत चुनाव पूरे होने के बाद उनका यह दौरा पार्टी के लिहाज से भी बेहद अहम माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि बैठक के बाद शाह बीजेपी प्रदेश कार्यालय भी जाएंगे, जहां पार्टी के सभी नेताओं के साथ वह मंथन करेंगे. ऐसे में सत्ता और संगठन सतर्क हो गया है और प्रदेश बीजेपी के सभी रणनीतिकार मंथन में जुट गए हैं. 

इस वजह से शाह का दौरा अहम 
दरअसल, अमित शाह की भाजपा दफ्तर में संभावित बैठक ने प्रदेश संगठन को चौकन्ना कर दिया है, क्योंकि 6 महीने के अंदर उनका यह दूसरा मध्य प्रदेश का दौरा है. अमित शाह का दौरा निकाय और पंचायत चुनाव के बाद हो रहा है. निकाय चुनाव के नतीजे इस बार बीजेपी को अलर्ट करके गए हैं. क्योंकि प्रदेश के 16 नगर निगमों में से 9 पर बीजेपी को जीत मिली, जबकि 7 जगह पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में बीजेपी को अच्छी जीत मिली, लेकिन इससे पहले बीजेपी के सभी 16 नगर निगमों में महापौर थे जो इस बार घटकर 9 हो गए इनमें भी दो जगह बेहद कम मार्जिन से जीत मिली. यही वजह है कि अमित शाह का यह दौरा बेहद अहम है. 

200 पार के नारे पर भाजपा 
इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ दिन पहले ही 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए ''अबकी बार 200 पार'' का नारा दिया था. लेकिन यह काम बिना शाह के संभव नहीं है. यही वजह है कि पार्टी के पदाधिकारी शाह के दौरे के दौरान उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में 200 विधानसभा सीटें जीतने का फार्मूला बताएंगे. क्योंकि 2018 में बीजेपी का वोट परसेंटेज 2013 के विधानसभा चुनाव से ज्यादा था, लेकिन पार्टी की सीटें 165 से घटकर 107 पर आ गई थी. जिससे बीजेपी मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता से बाहर हो गई थी. ऐसे में पूरा संगठन इस तैयारी में लगा है कि शाह के सामने ये बताया जा सके कि अगले विधानसभा चुनाव में 200 सीटें जीतने के लिए पार्टी को वोट शेयर 51 फीसदी कैसे किया जाएगा. इसके लिए नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के परिणामों के आधार पर विश्लेषण किया जा रहा है.  राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी के कद्दावर नेता निकाय और पंचायत चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए पार्टी की पीठ थपथपा सकते है. लेकिन इस पर मंथन भी हो सकता है. 

अब हो सकती है मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा 
इससे पहले अमित शाह का दौरा आदिवासी समाज के लिए आयोजित हुए कार्यक्रम के लिए हुआ था. जबकि अब 6 महीने के अंदर ही उनका दूसरा दौरा 2023 विधानसभा चुनाव के लिहाज से बीजेपी के लिए बेहद अहम माना जा रहा है. क्योंकि पंचायत और निकाय चुनाव के बाद जिस बात की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है वह मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा. बताया जाता है कि इस दौरे के दौरान शाह राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार पर भी चर्चा कर सकते हैं. सूत्रों को कहना है कि भाजपा की रणनीति है कि विधानसभा चुनाव में उतरने से पहले राजनीतिक नियुक्तियां कर दी जाए. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि शाह के दौरे के बाद प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों का दौर भी शुरू होगा, क्योंकि विधानसभा चुनावों में अब महज सवा साल शेष हैं. ऐसे में यह पूरी समीक्षा 2023 को ध्यान में रखकर की जा रही है. 

क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने पर जोर 
अमित शाह के दौरे को लेकर राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा खतरे की घंटी क्षेत्रीय समीकरणों ने बजाई है. पार्टी को महाकौशल, ग्वालियर-चंबल और विंध्य में सबसे ज्यादा हार का सामना करना पड़ा है. इनमें अगर ग्वालियर-चंबल को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश के मंत्रिमंडल में महाकौशल और विंध्य की भागीदारी न के बराबर हैं, जबकि यही के नगर निगम रीवा, सिंगरौली, जबलपुर और छिंदवाड़ा में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. बताया जा रहा है कि शाह के साथ होने वाली बैठक में यह पूरे समीकरण उनके सामने रखे जाएंगे. 

ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा अब क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने की कवायद भी पूरी करेगी. प्रदेश में सत्ता-संगठन के नेताओं ने मिशन 2023 को लेकर जमीनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. पिछले विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान संगठन की जो कमियां रह गई थीं और जो कमियां निकाय चुनाव में निकलकर सामने आई हैं उन पर अभी से फोकस किया गया है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में इन क्षेत्रों को ही तव्वजों दी जा सकती है. क्योंकि जबलपुर की हार के बाद यह बयान भी सामने आए थे, जबलपुर की वल्लभव भवन से दूरी बड़ी हो गई. 

आदिवासियों पर पूरा फोकस 
बीजेपी का आदिवासियों पर भी पूरा फोकस है. आदिवासी बहुल सीटों के लिए भाजपा हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है. ऐसे माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में सुलोचना रावत को मौका दिया जा सकता है. क्योंकि वह आदिवासी बहुल जोबट सीट से उपचुनाव जीती हैं, जबकि यह सीट 2018 में कांग्रेस को मिली थी. इसके अलावा अन्य क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने के प्रयास किए जाएंगे. शिवराज मंत्रिमंडल में अभी 4 पद खाली हैं. माना जा रहा है कि जल्द ही शिवराज कैबिनेट में दो से तीन मंत्रियों को और बढ़ाया जाएगा. वहीं चुनाव को ध्यान में रखते हुए किसी मंत्री को बाहर करने की संभावना फिलहाल नहीं है. इन सभी विषयों पर शाह से चर्चा हो सकती है. पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पार्टी समर्थित उम्मीदवारों से जीत दर्ज कर जिस तरह से ग्राम पंचायतों से लेकर जनपद और जिला पंचायत के अध्यक्ष उपाध्यक्ष जैसे पद हासिल किए है, उसे राजनीति के जानकार भाजपा के बढ़े जनाधार से जोड़ रहे है. शाह के सामने यह पूरा विश्लेषण होगा. 

शाह नए सिरे से बनवा सकते हैं रणनीति 
माना जा रहा है निकाय चुनाव के बाद शाह नए तरीके से रणनीति बनवा सकते हैं. क्योंकि इन चुनावों के बाद भाजपा में फिर से समीक्षा का दौर शुरू हो गया है.  पिछली बार सभी 16 नगर निगमों में क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा को इस बार नौ नगर निगमों में ही मेयर के चुनाव में सफलता मिली है. जीत का शेयर उसका प्रदेश में भले ही ज्यादा हो पर जहां हारे वहां, हार के कारणों की समीक्षा में संगठन के आला नेता जुट गए हैं. शाह के दौरे के पहले प्रदेश भाजपा ने आज अपने सभी जिला अध्यक्षों के साथ प्रदेश मुख्यालय में बैठक बुलाई है. प्रदेशभर के जिलाध्यक्ष बैठक के लिए आएंगे. सूत्रों का कहना है कि बैठक में पंचायत और निकाय चुनावों के परिणामों पर चर्चा के अलावा आने वाले संगठनात्मक कार्यक्रमों पर भी चर्चा की जाएंगी। इसके अलावा अगले विधानसभा चुनावों के लिए किस तरह से तैयारी होनी है, इसके बारे में जिलाध्यक्षों को मार्गदर्शन दिया जाएगा. 

क्या हो सकती है शाह की कोशिश 
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी किसी भी चुनाव में उतरने से पहले ही हर काम पर बारीक नजर रखती है. अमित शाह की नजर में भी 2018 में बीजेपी के लिए आया यह गैप होगा. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी अब इस गैप को भरने की कवायद में जुटी है. दरअसल, बीजेपी में अमित शाह संगठन को चलाने में सबसे मजबूत माने जाते हैं, यही वजह है कि बीजेपी ने उनके जरिए ही मध्य प्रदेश में फिर से 2013 का कमाल दौहरना चाहती है. क्योंकि अमित शाह इस मामले में माहिर है. 

बीजेपी कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने पर भी होगी नजर 
इसके अलावा अमित शाह की कोशिश कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने पर भी होगी. क्योंकि अमित शाह इस बात को बखूबी जानते हैं कि से पहले ही कार्यकर्ताओं को चुनावी मोड में लाने से पार्टी की राह आसान होगी. यही वजह है कि पिछले 6 महीनों के दौरान मध्य प्रदेश में यह उनका दूसरा दौरा है. अमित शाह से पहले खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी इंदौर पहुंचे थे. ऐसे में माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी अब पूरी तरह से खुद को चुनाव के लिए तैयार करना चाहती है. 

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