अनूठी है इस भैरव मंदिर की परंपरा, 25 फीट के खंभे से उल्टा लटककर भक्त करते हैं परिक्रमा; जानें क्या है मान्यता?
Unique Tradition: रतलाम से 30 किलोमीटर दूर एक कचलाना में स्थित भैरव मंदिर (Bhairav Mandir Kachalana Ratlam) में अनूठी परंपरा निभाई जाती है. यहां मन्नत पूरी होने के बाद लोग 25 के घंभे पर ऊपर उल्टा अनोखे तरीके से परिक्रमा (Parikrama By Hanging On Pillar) करते हैं. जानिए क्या है मान्यता
Bhairav Mandir Unique Tradition: चन्द्रशेखर सोलंकी/रतलाम: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रतलाम (Ratlam) जिले के कचलाना गांव (Kachalana) में स्थित भैरव मंदिर (Bhairav Mandir) को लेकर लोगों में काफी आस्था है. होली के अवसर पर यहां दो दिन का मेला लगता है. इस मौके पर भक्तों की भारी तादात आती है. इस दौरान मन्नते मांगने और पूरी होने वाले भक्त भैरव मंदिर पर लगे 25 फीट के खंभे पर उल्टा लटककर परिक्रमा (Parikrama By Hanging On Pillar) करते हैं. क्या है मंदिर की मान्यता आइए जानतें हैं.
क्या कहते हैं ग्रामीण?
ग्रामीणों ने बताया कि गांव कचलाना में कई दशक पुराना भैरव मंदिर है. यहाँ पर होली के मौके पर दो दिन मेला लगता है. मंदिर पर अपनी मन्नत मांगने दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ आते हैं. कोई संतान के लिए तो कोई व्यवसाय के लिए या अन्य समस्याओं के लिए मन्नत मांगते हैं और मनोकामना पूरी करने के लिए मंदिर पर 25 फ़ीट ऊपर उल्टा लटककर होली के दिन यहाँ परिक्रमा लगाते हैं.
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होली के मौके पर लगती है भीड़
स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव कचलाना में इस अनोखी मान्यता का कई सालों से आज तक निर्वाह किया जा रहा है. स्थानीय लोग वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन आज भी लोग करते हैं. होली के त्योहार पर काफी ज्यादा भीड़ यहां लगती है.
आस्था के लिए उठाते हैं जोखिम
मंदिर के ऊपर लटककर परिक्रमा लगाना जितना हैरान करने वाला है उतना आकर्षक भी है हालांकि इसमें जोखिम भी है. लेकिन यहां आने वाले भक्त इस परम्परा के निर्वाह में सुरक्षा के लिए कोई कसर नही छोड़ते हैं और परिक्रमा के दौरान ऊपर भी 3 लोग मौजूद रहते हैं. जिससे अगर किसी भी तरह की कोई अनहोनी हो तो उससे निपटा जा सके.
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सालों पुराना है मंदिर
इस गांव में काल भैरव का यह मंदिर सालों पुराना है और यहां होली और धुलेटी पर 2 दिन का मेला भी लगता है. दर्शनार्थी न सिर्फ रतलाम बल्कि अन्य जिलों से भी यहां आते है और कुछ अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर यह परिक्रमा लगाते है तो कुछ अपनी मन्नत मानते है और फिर मन्नत पूरी होने के बाद इस परम्परा का निर्वहन करते हैं. इसके अलावा आकाशीय परिक्रमा लगाने का भी जिक्र यहां आता है अंगारों पर चलने की भी मान्यता है.