Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले ईसाई मिशनरी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई देखने को मिली है. दमोह में चुनाव से ठीक पहले सरकार इसाई मिशनरी को निशाना बनाते हुए कार्रवाई कर रही है. शुक्रवार को मिशनरी की एक बड़ी संस्था पर बड़ी कार्रवाई की गई है. इसका सीधा असर बाल भवन में रहने वाले अनाथ बच्चों पर पड़ेगा.
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MP NEWS: मध्य प्रदेश के दमोह में चुनाव से ठीक पहले सरकार इसाई मिशनरी को निशाना बनाते हुए कार्रवाई कर रही है. शुक्रवार को मिशनरी की एक बड़ी संस्था पर बड़ी कार्रवाई की गई है. यहां की आधारशिला संस्था के बाल भवन की मान्यता खत्म की गई. इसका सीधा असर बाल भवन में रहने वाले अनाथ बच्चों पर पड़ेगा. बाल भवन पर ये कार्रवाई राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग और राज्य बाल अधिकार आयोग की सिफारिशों के बाद की गई है.
दमोह में ईसाई मिशनरी की ओरे से सालों से आधार शिला संस्थान के बैनर तले एक बाल भवन चलाया जा रहा है. प्रदेश और केंद्र सरकार के नियम कानूनों के तहत इस बाल भवन में अनाथ बच्चों को रखने के साथ उनका भरण पोषण और शिक्षा दीक्षा देने का काम किया जाता है. सालों से चल रहे इस बाल भवन में अब तक सैकड़ों बच्चों का भरण पोषण हुआ, लेकिन बीते कुछ महीनों से ये संस्थान विवादों में घिरा है.
क्यों हुई कार्रवाई
बीते महीने में बाल भवन में रहने वाली एक लड़की के यौन शोषण की शिकायत आई तो बाल अधिकार आयोग मध्य प्रदेश और राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग दोनों ने मामले को संज्ञान में लिया और इस मामले की शिकायत पुलिस में भी दर्ज कराई गई. आयोग ने सरकार को इस संस्था की जांच पड़ताल किये जाने के लिए लिखा. इस बीच इस संस्था के रिन्यूवल की कार्रवाई प्रस्तावित की गई और आधारशिला संस्थान ने नियमों के तहत महिला एवं बाल विकास विभाग में संस्था के रिन्यूवल के लिए एप्लाय किया तो सरकार ने मान्यता देने स इनकार कर दिया.
सामने आया था यौन शोषण का मामला
महिला एवं बाल विकास अधिकारी संजीव मिश्रा के मुताबिक, बाल भवन मानकों को पूरा नहीं कर रहा है. नियमगत लड़के और लड़कियों के आवासीय स्थिति का पंजीयन अलग-अलग होना चाहिए, लेकिन संस्था का एक ही रजिस्ट्रेशन है, जो गलत है. वहीं बीते महीनों में सामने आए यौन शोषण के मामले को भी मान्यता निरस्त करने का आधार बनाया गया. आधारशिला संस्थान में शहर जिले और आसपास के जिलों में मिलने वाले नवजात अनाथ शिशुओं को बाकायदा बाल कल्याण समिति और कोर्ट के आदेश के आधार पर रखा जाता है. इसकी मॉनीटरिंग प्रदेश सरकार का महिला एवं बाल विकास विभाग करता है.
क्या बेघर हो जाएंगे बच्चे?
फिलहाल इस संस्थान के बाल भवन में 14 अनाथ बच्चे हैं, जिनमें 09 लडकियां और 05 लड़के हैं. सभी अनाथ हैं और अब मान्यता निरस्त होने के बाद इन अनाथ बच्चों को किसी दूसरे शहर के सरकारी अनाथालयों में भेजा जाएगा. दमोह में इससे पहले हिजाब कांड के बाद गंगा जमना स्कूल और उसके संचालकों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई. इस संस्था पर धर्मांतरण और जबरन मुस्लिम धर्म की शिक्षा दिए जाने का आरोप लगा था. ठीक वैसे ही आधारशिला संस्था पर भी बच्चो को ईसाई पद्धति सिखाये जाने के साथ बच्चो को बाइबिल पढ़ाये जाने के आरोप बाल अधिकार् आयोग की टीम ने लगाए थे. दिन्दुवादी संगठन भी लगातार इन संस्थाओं पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं और अब सूबे में चुनाव से पहले हो रही इन कार्रवाईयों को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है.
रिपोर्ट: महेंद्र दुबे