CG News: बंदूक पर भारी पड़ रही कलम, 17 साल बाद इस गांव में बजी स्कूल की घंटी
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CG News: बंदूक पर भारी पड़ रही कलम, 17 साल बाद इस गांव में बजी स्कूल की घंटी

Chhattisgarh Pedda Korma School: छत्तीसगढ़ के पेद्दा कोरमा में माओवाद दहशत से 17 साल से बंद स्कूल को ग्रामीणों की पहल से एक बार फिर खोल दिया गया है.

Chhattisgarh Pedda Korma School

पवन दुर्गम/बीजापुर: बंदूक पर कलम भारी पड़ रही है.सालों से बंद स्कूलों को खोलने के लिए अब ग्रामीण आगे आ रहे हैं. ग्रामीणों की मांग पर बीजापुर कलेक्टर ने नक्सलगढ़ कहे जाने वाले पेद्दा कोरमा और मुनगा में उन्हें स्कूलों की सौगात दी है. पेद्दा कोरमा के ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग के महकमे के साथ गांव की तस्वीर में बदलाव लाने की शुरुआत की है. दरअसल सलवाजुड़ुम अभियान और माओवाद दहशत से 17 साल पहले यहां सरकार की सारी व्यवस्था ठप्प हो गई थी. जिस स्कूल को बच्चों के भविष्य को संवारना था, वह मलबे में तब्दील हो गया था और माओवादी शासन की जद में पूरे इलाके में आतंक और हिंसा फैल गई.

छत्तीसगढ़ सरकार की मुहिम का असर 
छत्तीसगढ़ सरकार की शांति और विश्वास बहाली की मुहिम के तहत स्कूल दोबारा खोल कर बच्चों को शिक्षा के मुख्यधारा से जोड़ने की मुहिम का असर रंग लाने लगा है. स्कूल खोलने से बनते बेहतर माहौल के बीच पेद्दा कोरमा पंचायत के ग्रामीणों ने स्कूल के जरिये अपनी दशा और दिशा बदलने का बीड़ा उठाया और दहशत हिंसा से बाहर निकलने की राह बना डाली.

नई कहानी गढ़ती नज़र आने लगी
पेद्दा कोरमा और मुनगा के ग्रामीणों ने अपने घरों को ज्ञान की गुड़ी बना दिया और फिर से बच्चों की क ख ग घ की गूंज वादियों में सुनाई देने लगी. मुनगा में 90 बच्चों और पेदाकोरमा में 70 बच्चों के साथ शुरू हुए स्कूल में 17 साल बाद एक नई कहानी गढ़ती नज़र आने लगी है. दरअसल पेदाकोरमा बीजापुर का वो इलाका है. जहां नक्सली दहशत और आतंक कदम-कदम पर मौत का अहसास कराती है. यहां तक पहुंचने के लिए न कोई सड़क है और न पगडंडी है. जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर बाइक से जाने के बाद 12 किलोमीटर बारूदी सड़क से गुजरकर पैदल सफर करना यहां की नियती है. पग-पग में सुरक्षा बलों व माओवादियों की दहशत को पार करना किसी बड़ी जोखिम से कम नहीं होता. 

ऐसे कठिन हालातों में तालीम की ढह चुकी इबारत को फिर से कायम करना आसान नहीं होता, बावजूद इसे आतंक की बाधाओं को पार कर अमलीजामा पहनाने में शिक्षा विभाग की टीम ने क़ामयाबी पाई है.दो दिन के सफर में रात बीहड़ो में खौफ के साए में गुजारने के बाद दूसरे दिन की सुबह दहशत की काली रातों के साये से छोड़ सूरज की रोशनी से जगमगाने की थी.ये बदलाव हिंसा से अहिंसा की ओर ले जाने की एक राह बन गई.जिस पर अब यहां के ग्रामीण चलना चाहते हैं.खुद झोपड़ी तानकर बच्चों को स्कूली ड्रेस में तैयार कर जब ग्रामीणों अपने पारम्परिक रीति रिवाजों से और ग्राम प्रधान की मौजूदगी में स्कूल का उद्घाटन कर घंटी बजाई तो एक बदलते दौर औऱ बदलते हालात की तस्वीर बयां करने लगी.

स्कूल खुलने पर ये बोले बीजापुर कलेक्टर
बीजापुर कलेक्टर राजेन्द्र काटारा ने बताया कि पेद्दाकोरमा और मुनगा अति संवेदनशील क्षेत्र में आता है.यहां पर विगत 17 वर्षों से प्रशासन की पहुंच नहीं थी तथा यह क्षेत्र बरसात में जिला मुख्यालय से कट जाता है.यहां के ग्रामीणों ने कलेक्टर बीजापुर से स्कूल खोलने की मांग रखी.जिसके पश्चात जिला मुख्यालय से हमारी टीम को क्षेत्र में भेजा गया.जहां पहुंचकर वहां ग्रामीणों के साथ रात बिताई और अगले दिन दोनों गांव में स्कूल प्रारंभ किया. इस क्षेत्र में 17 साल बाद ग्रामीणों के मांग और सहयोग से स्कूल का खुलना ग्रामीणों का सरकार और प्रशासन पर विश्वास का बढ़ना बताता है.

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