मध्य प्रदेश के सागर जिले से आने वाले रामसहाए पांडे ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राई लोक नृत्य को पहचान दिलाने का काम किया है.
Trending Photos
अतुल अग्रवाल/सागरः सागर के राम सहाय पांडे को सोमवार को राष्ट्रपति भवन में महामहिम रामनाथ कोविंद ने पद्म श्री से सम्मानित किया. 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों की घोषणा की थी. इसमें केंद्र सरकार ने बुंदेलखंड अंचल को भी सम्मानित किया. केंद्र सरकार ने सागर जिले के कलाकार रामसहाय पांडे को पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा की थी. 94 साल के रामसहाय पांडे बुंदेलखंड की प्रसिद्ध राई नृत्य में पारंगत हैं. वह देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी राई नृत्य कर चुके हैं, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राई लोक नृत्य को पहचान दिलाई है.
घर पर खुशी का माहौल
मध्य प्रदेश के सागर जिले से आने वाले रामसहाय पांडे ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राई लोक नृत्य को पहचान दिलाने का काम किया है. पद्म श्री पुरस्कार के नाम के लिए उनके नाम की घोषणा होने के बाद ही कनेरा देव गांव में रहने वाले रामसहाय पांडे के घर में खुशी का माहौल है.
President Kovind presents Padma Shri to Shri Ram Sahay Pandey for Art. A folk artist from the Bundelkhand region, he has represented India in many countries. He is the founder of Bundeli Lok Nritya Natya Kala Parishad. pic.twitter.com/F0MRRjGNc2
— President of India (@rashtrapatibhvn) March 21, 2022
मुश्किलों से भरा रहा है रामसहाय पांडे का बचपन
राई नृत्य में पारंगत रामसहाए पांडे का जन्म 11 मार्च 1933 को सागर जिले में आने वाले ग्राम मडधार पठा में हुआ था. उनका परिवार बेहद गरीब था, पिता लालजू पांडे गांव के ही मालगुजार के यहां काम करते थे. लेकिन जब पांडे 6 साल के थे तब इनके पिता का निधन हो गया, लिहाजा इनकी माता अपने बच्चों को लेकर कनेरादेव गांव आ गई और अपने मायके में रहने लगी. लेकिन 6 साल बाद ही माता ने भी उनका साथ छोड़ दिया. उनका बचपन मुश्किलों से गुजर रहा था.
इस तरह राई नृत्य में पारंगत हुए रामसहाए पांडे
एक बार रामसहाए पांडे एक मेले में पहुंचे जहां उन्होंने राई नृत्य देखा, जिसके बाद उन्होंने सोच लिया कि वह भी राई करेंगे. बस फिर क्या था, उन्होंने मृदंग बजाने की प्रैक्टिस शुरू कर दी. बुंदेलखंड के सामाजिक नजरिए से राई नृत्य ब्राह्राण परिवारों के लिए अच्छा नहीं माना जाता था. लेकिन रामसहाए पांडे अपनी जिद पर अड़े रहे. आखिरकार वह मृदंग बजाना सीख गए. एक बार एक जगह राई नृत्य की प्रतियोगिता रखी गई जिसे रामसहाए पांडे ने जीत लिया.
राई में रामसहाए पांडे का कोई मुकाबला नहीं
छोटे कद के पांडे जब कमर में मृदंग बांध कर नाचते और पल्टी मारते तो लोग दांतों तले उंगली दवा लेते थे. राई नृत्य में उनका कोई मुकाबला नहीं था. हालांकि 94 साल की बुजुर्ग अवस्था में होने की वजह से रामसहाए पांडे को राई छोड़े बहुत वक्त हो गया है. लेकिन आज भी बुंदेलखंड अंचल में उनका कोई मुकाबला नहीं है. वह जापान, हंगरी, फ्रांस, मॉरिसस सहित कई बड़े मंचों पर राई नृत्य कर चुके हैं.
खास बात यह है कि रामसहाए पांडे को इससे पहले राज्य स्तर पर कई बार सम्मानित किया जा चुका है. राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं. लेकिन अब उन्हें केंद्र सरकार भी सम्मानित करने जा रही है. भले ही रामसहाए पांडे का बचपन मुश्किलों से गुजरा है. लेकिन आज वह किसी पहचान के मुहताज नहीं है. पद्मश्री अवॉर्ड के लिए उनके नाम का ऐलान होते ही उनके घर पर लोग रामसहाए पांडे को बधाई देने पहुंच रहे हैं.
क्या है राई नृत्य?
दरअसल, राई नृत्य बुंदेलखंड अंचल का एक प्रसिद्ध नृत्य है. यह पूरे साल चलता है. राई नृत्य मे बेड़नियां नाचती हैं और पुरुष मृदंग बजाते हैं. इस नृत्य में पांगे गाई जाती है. मृदंग की थाप पर घुंघरुओं की झंकारती राई और उसके साथ नृत्यरत स्वांग लोगों का जमकर मनोरंजन करते हैं. समूचे बुंदेलखंड अंचल में शादी या अन्य किसी खुशी के समाराहों में राई नृत्य खूब देखने को मिलता है.
ये भी पढ़ेंः Padma Awards 2022: CDS बिपिन रावत, कल्याण सिंह समेत इन हस्तियों को पद्म अवार्ड, चेक करें पूरी लिस्ट
WATCH LIVE TV