मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली दौरे पर हैं. इस दौरान वे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात करेंगे. सीएम शिवराज के दिल्ली दौरे को लेकर प्रदेश में एक बार फिर से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा तेज हो गई हैं. ऐसे में हम आपको मंत्रिमंडल विस्तार का पूरा समीकरण बताते हैं.
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भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से सियासी हलचल चल रही है. इस सियासी हलचल के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करेंगे. दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा एक बार फिर प्रदेश के सियासी गलियारों में तेज हो गई है. बीजेपी मध्य प्रदेश में मिशन-2023 के लिए चुनावी मोड में आ चुकी है. ऐसे में पार्टी अब कई फैसले लेने की तैयारी में है. बताया जा रहा है कि सीएम शिवराज जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं.
मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा क्यों हुई तेज
2023 में मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब एक साल का ही समय बचा है. ऐसे में बीजेपी अभी से क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों पर पूरा फोकस कर रही है. पिछले दिनों मध्य प्रदेश के दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी संगठन और सत्ता के कामकाज को लेकर चर्चा की थी. शिवराज मंत्रिमंडल में चार पद खाली पड़े हैं, ऐसे में इन पदों को भरकर पार्टी क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों को साध सकती है. बता दें कि फिलहाल मंत्रिमंडल में विंध्य और महाकौशल अंचल के मंत्रियों की संख्या बेहद कम है. ऐसे में इन अंचलों से मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है.
शिवराज सरकार में 4 मंत्री पद खाली
शिवराज मंत्रिमंडल में फिलहाल चार मंत्रियों की जगह खाली है. फिलहाल सीएम सहित कैबिनेट में 31 मंत्री हैं. जबकि प्रदेश में कुल मंत्रियों की संख्या 35 हो सकती है. ऐसे में चर्चा है कि जल्द ही कुछ और नए मंत्रियों की नियुक्तियां हो सकती हैं. 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में शिवराज सरकार के तीन मंत्री, इमरती देवी, एंदल सिंह कंसाना और गिर्राज दंडोतिया को हार का सामना करना पड़ा. जिसके चलते तीनों मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था. इस वजह से मंत्रियों के चार पद खाली हैं.
अब तक तीन बार हुआ है शिवराज सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार
बता दें कि मार्च 2020 में शिवराज सरकार के गठन के बाद से अब तक तीन बार मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है. सरकार गठन के 100 दिन बाद सीएम ने कैबिनेट में पहली बार अपने 05 सहयोगी मंत्रियों को जोड़ा था, जिनमें नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल, तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत और मीना सिंह शामिल थी. इसके बाद 2 जुलाई को 28 मंत्रियों ने एक बार फिर शपथ ली. जिसके बाद मंत्रियों की संख्या 33 हो गई थी. वहीं उपचुनाव के जीतने के बाद तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को फिर से मंत्रीपद की शपथ दिलाई गई थी. इस तरह से अब तक केवल तीन बार विस्तार हुआ है.
ये विधायक हैं मंत्री पद के दावेदार
मध्य प्रदेश में चार मंत्री पद खाली है. लेकिन दावेदारों की लाइन लंबी है. मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले दावेदारों में गौरीशंकर बिसेन, रामपाल सिंह, राजेंद्र शुक्ला, पारस जैन, सुरेंद्र पटवा, करण सिंह वर्मा, महेंद्र हार्डिया, सीतासरन शर्मा, सुलोचना रावत का नाम चर्चा में है. इन दावेदारों में से अधिकतर नेता पहले मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा बीजेपी कई चौकाने वाले नाम भी ला सकती हैं, क्योंकि बीजेपी में ऐसे विधायकों की भी लंबी फेहरिस्त है जो तीसरी या चौधी बार विधायक बने हैं. जिसके चलते यह विधायक भी मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए दावेदारी करते हैं. हालांकि अभी तक शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर फिलहाल कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है. लेकिन जेपी नड्डा से मुलाकात के चलते चर्चा तेज हैं.
जातिगत समीकरणों पर होगा मंत्रिमंडल विस्तार
खास बात यह है कि अगर शिवराज सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार होता है तो उसके जातिगत समीकरणों के आधार पर होने के पूरे चांस हैं. माना जा रहा है कि समुदाय के हिसाब से ही मंत्री बनाए जा सकते हैं. आदिवासियों को साधने के हिसाब से आदिवासी, ओबीसी वर्ग से मंत्रियों को लिया जा सकता है. जोबट सीट से उपचुनाव जीतने वाली आदिवासी समुदाय से सुलोचना रावत को भी मंत्री पद दिए जाने की चर्चा है, रावत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई थीं, तब उन्हें मंत्री बनाए जाने का आश्वासन दिया गया था.
अंचल पर होगा बीजेपी का फोकस
खास बात यह है कि शिवराज मंत्रिमंडल में इस बार अंचलों का समीकरण भी बैठाया जाएगा. फिलहाल सबसे ज्यादा मंत्री ग्वालियर चंबल से हैं, यहां हर दूसरा विधायक मंत्री है, जबकि विंध्य और महाकौशल में सबसे कम मंत्री हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार विंध्य और महाकौशल से मंत्री बनाए जा सकते हैं.