देवास बैंक नोट प्रेस में हुई वो चोरी जिसने दिल्ली को हिला दिया था, पढ़िए हाई सिक्योरिटी जोन में कैसे लगी सेंध
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देवास बैंक नोट प्रेस में हुई वो चोरी जिसने दिल्ली को हिला दिया था, पढ़िए हाई सिक्योरिटी जोन में कैसे लगी सेंध

नोट छापने वाली देवास बैंक नोट प्रेस (Dewas Bank Note Press) में सनसनीखेज चोरी करने वाले अफसर मनोहर वर्मा की तीसरी जमानत याचिका भी खारिज हो गई है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के देवास बैंक नोट प्रेस में डिप्टी कंट्रोलर मनोहर वर्मा को जनवरी 2018 में 200 रुपये के नए नोटों की गड्डियां चुराकर ले जाते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद पूछताछ में जब खुलासा हुआ कि ये चोरी 8 महीने से चल रही थी, तो दिल्ली तक सब हिल गए. 

देवास बैंक नोट प्रेस में हुई वो चोरी जिसने दिल्ली को हिला दिया था, पढ़िए हाई सिक्योरिटी जोन में कैसे लगी सेंध

नई दिल्ली: नोट छापने वाली देवास बैंक नोट प्रेस (Dewas Bank Note Press) में सनसनीखेज चोरी करने वाले अफसर मनोहर वर्मा की तीसरी जमानत याचिका भी खारिज हो गई है. बताया जा रहा है कि केस पर जल्द ही फैसला आ सकता है. जूतों में भरकर नोटों की चोरी करने वाला आरोपी पिछले चार साल से जमानत के लिए गुहार लगा रहा है. सरकारी अफसर होने के चलते उसपर सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, लेकिन वो खुद ही चोरी करता था. इसे संगीन आरोप मानते हुए जमानत नहीं दी जा रही है. हाई सिक्योरिटी जोन में हैरान करने वाली चोरी को कैसे अंजाम दिया जाता था, देखिए पूरी कहानी.

दिल्ली तक सब हिल गए थे
मध्य प्रदेश के देवास बैंक नोट प्रेस में डिप्टी कंट्रोलर मनोहर वर्मा को जनवरी 2018 में 200 रुपये के नए नोटों की दो गड्डियां चुराकर ले जाते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद पूछताछ में जब खुलासा हुआ कि ये चोरी 8 महीने से चल रही थी, तो दिल्ली तक सब हिल गए. देवास बैंक नोट के इस अधिकारी को गिरफ्तार कर सीआईएसएफ ने उनके डस्टबिन और लॉकर से 26 लाख 9 हजार 300 रुपये के नए नोट बरामद किए थे. याद दिला दें ये वहीं समय था जब नोटबंदी के बाद नए और पुराने नोटों की बहस चल रही थी. मनोहर वर्मा ने बताया कि वो सिर्फ रिजेक्टेड नोट ही चुराते थे.

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रिजेक्टेड नोटों की गड्डियों की चोरी
इसके बाद मामला बढ़ा, मनोहर वर्मा के घर पर भी छापेमारी हुई तो पलंग के अंदर जूते के डिब्बों और कपड़े की थैलियों में छिपाकर रखे गए 64.5 लाख रुपये के नए नोट मिले. जांच के बाद अधिकारियों ने बताया कि मनोहर 200 और 500 रुपये के रिजेक्टेड नोटों की गड्डियां चुराता था. इससे उनकी चालाकी देखिए रिजेक्ट कर दिए गए नोटों की ही वो चोरी करते थे, जिसे आमतौर पर नष्ट कर दिया जाता है. मनोहर वर्मा सुपरवाइजर स्तर का अधिकारी थे और वहां पदस्थ थे जहां त्रुटिपूर्ण नोटों की छंटाई की जाती है. यानि नोट वेरिफिकेशन सेक्शन के हेड. 

जूते में छिपाकर नोटों की चोरी
मनोहर वर्मा को पता था कि उच्च पदस्थ अधिकारी होने के चलते न तो उसके लॉकर की जांच होगी थी और न ही ऑफिस में आते-जाते उसकी तलाशी ली जाती थी. इसी का फायदा उठाकर मनोहर वर्मा कपड़ों और जूते में छिपाकर नोटों की चोरी करते थे. इसके बाद सीआईएसएफ ने मनोहर वर्मा को पुलिस को सौंप दिया और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में मनोहर वर्मा ने नोट चुराकर ले जाने की बात स्वीकार कर ली थी. 

ऐसे हुआ था शक
मामले का खुलासा तब हुआ जब सीआईएसएफ के एक जवान ने मनोहर वर्मा को डस्टबिन में कुछ फेंकते हुए देखा तो उसे शक हुआ. मनोहर ने डस्टबिन के पास लकड़ी का एक बॉक्स रखा था, जिसमे वो सिक्योरिटी गार्ड्स से छुपकर नोटों की गड्डी फेंक देता था. बाद में नोटों की गड्डी को कपड़ों और जूतों में छिपाकर सुरक्षित निकल जाता था. सीआईएसएफ के जवान को शक हुआ तो उसने अपने उच्च अधिकारी को सूचित किया. इसके बाद अधिकारियों ने मनोहर वर्मा को रंगेहाथों पकड़ने के लिए सीसीटीवी कैमरे चैक किए और मनोहर वर्मा को गड्डी फेंकते हुए रंगेहाथों पकड़ा.

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