TB Drug Stock Out: मध्य प्रदेश में टीबी के मरीजों को दवा नहीं मिल रही है. मरीजों की दवाईयों में गेप होने से उनकी हेल्थ बिगड़ रही है. हालांकि, दवाइयों के इंतजाम के लिए प्रदेश के सरकारी हॉस्पिटल ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है.
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MP News: मध्य प्रदेश में 60 हजार टीबी मरीजों के लिए दवाएं खत्म हो गई हैं. 1980 के बाद से पहली बार एमपी में टीबी की दवाएं ही नहीं बची हैं. टीबी से जूझ रहे मरीजों को दी जाने वाली 4 दवाओं की निश्चित खुराक 4 एफडीसी और 3 एफडीसी दी जाती है. प्रदेश के 95% सरकारी हॉस्पिटल में टीबी की दवाएं नहीं है. ऐसे में टीबी के 60 हजार से अधिक मरीजों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.
भोपाल के डॉट्स सेंटर इंचार्ज डॉक्टर विश्वास गुप्ता ने बताया कि बिना दवाइयों के मरीजों की जान संकट में है. मरीज आ तो रहे हैं पर हम उन्हें दवा नहीं दे पा रहे हैं. बिना दवाई के टीबी और भी फैल सकती है. जिससे मरीजों की जान संकट में है. डॉक्टर आगे बताते हैं कि कई मरीजों की दवाइयों में गेप होने से उनका हेल्थ बिगड़ रहा है. टीबी से जंग कमजोर होती जा रही है. सभी जगह की यही हालात है. हालांकि जल्द ही ये संकट खत्म हो जाएगा.
दवाओं की शॉर्टेज
विश्वास गुप्ता डॉट्स सेंटर इंचार्ज का कहना है कि जिलों में टीबी के दवा की भारी डिमांड है. हमने राज्य टीबी औषधि स्टोर में इंचार्ज से बात की तो उन्होंने बताया कि एक दवाई का 1 लाख स्टॉक लगाया, जबकि दूसरी दवाई का ढाई लाख स्टॉक लगाया है. प्रदेश में दवाओं की शॉर्टेज है. निजी कंपनियों से दवा मंगाई जा रही है.
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प्रदेश के टॉप 5 टीबी जिले
मध्य प्रदेश में टीबी की बीमारी तेजी से फैल रही है . ऐसे में मरीजों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. प्रदेश के छतरपुर जिले में 16399 टीबी मरीज है, भोपाल में 10792, ग्वालियर में 9527, बुरहानपुर में 2500, और अशोकनगर में 2700 टीबी के मरीज है. देश में टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान चल रहा है. यही कारण है कि मध्य प्रदेश की तरफ से इस बाबत पत्र लिखा गया तो केंद्र ने तुरंत इस समस्या का हल निकालने का आश्वासन दिया. इसलिए राज्य में टीबी के मरीजों को चिंता करने की जरुरत नहीं है. दवाइयां जल्द ही उपलब्ध हो जाएंगी.
रिपोर्ट: प्रमोद शर्मा, भोपाल