MP में ये कैसी परंपराः मां-बाप ने बच्चों को गोबर में डाला, डॉक्टर ने इसे बताया घातक
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MP में ये कैसी परंपराः मां-बाप ने बच्चों को गोबर में डाला, डॉक्टर ने इसे बताया घातक

हर साल की तरह इस साल भी बच्चों को गोबर में फेंका गया. 

बच्चों को गोबर में डाला गया

बैतूलः दीपावली के मौके भारत के अलग-अलग हिस्सों में अनोखी मान्यताएं और प्रथाएं भी देखी जा सकती है. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में भी अंधविश्वास के चलते एक ऐसी परंपरा हर साल मनाई जा रही है, जो हैरान करने वाली होती है. क्योंकि यहां गोवर्धन पूजा के दिन बच्चों को गोबर में डाला जाता है, इसके पीछे ग्रामीण अंचल के लोगों को तर्क रहता है कि ऐसा करने से बच्चे स्वस्थ रहते हैं. हर साल की तरह इस बार भी बैतूल जिले में यह परंपरा मनाई गई. 

क्या बच्चों को गोबर में फेंकने से वे स्वस्थ्य हो सकते है, इसका जबाब भले ही ना हो. लेकिन मध्य प्रदेश के बैतूल में वर्षो से यही सब कुछ हो रहा है. यहां गोवर्धन पूजा के दौरान बच्चों को गोबर में फेंकने की परंपरा है. लोगों कि मान्यता है कि गोबर में डालने से बच्चे साल भर तंदुरुस्त रहते हैं. जबकि डॉक्टर इस परंपरा को खतरनाक बताते हैं, क्योंकि ऐसा करने से बच्चों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है. लेकिन गोबर के बीच रोते बिलखते मासूम बच्चो को देख किसी का भी दिल भर आये पर उनके मां बाप को ही उन पर दया नहीं आती.

परंपरा के पीछे ग्रामीणों ने दिया यह तर्क 
दरअसल, बैतूल के कृष्णपुरा वार्ड में हर साल गोवर्धन पूजा पर बच्चों को गोबर में डाला जाता है. इस बार भी ऐसा ही हुआ. इस परंपरा के पीछे ग्रामीणों का तर्क है जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी. उसी तरह वह इन बच्चों की भी रक्षा करते हैं. समाज कि मान्यता हो गई कि गोवर्धन उनकी रक्षा करते है और इसी को लेकर बच्चो को गोबर में डाला जाता है. ये सब गांव में ही नहीं बल्कि शहर में भी हो रहा है. ऐसा भी नहीं की इसे अनपढ़ लोग करते हैं बल्कि शिक्षित लोग भी इस अंधविश्वास पर भरोसा करते है. 

द्वापर से चली आ रही यह परंपराः स्थानीय 
ऐसे में इस बार भी कई छोटे-छोट बच्चों को उनके ही मां-बाप ने गोबर के ढेर में अंदर तक दबा दिया. बच्चे रोते रहे लेकिन लोग मान्यता और परंपरा के नाम पर ऐसा करते हैं. इस परंपरा को लेकर एक स्थानीय ने कहा कि यह पुरानी परंपरा है. बच्चों को गोबर में डालने से वे साल भर निरोगी सुखी रहते हैं, मांगलिक कार्यों में भी गोबर लीप कर जगह को शुद्ध करते हैं आप तक इससे कोई इफेक्ट नहीं पड़ा है. यह द्वापर से चला रहा है, आज का विज्ञान कहता है कि इससे साइड इफेक्ट होते हैं पर हम पर भगवान का आशीर्वाद है इससे कभी कुछ नहीं होता. 

वहीं इस मामले में डॉ नितिन देशमुख कहते हैं कि वैसे तो गोबर में बहुत सारे कीटाणु होते है, जो बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालते है. लेकिन गोबर में वैक्टेरिया होता जिससे स्वांस संबंधी बीमारी के साथ चर्म रोग होता है जो बहुत ही घातक हो सकता है. इसलिए बच्चों को गोबर में नहीं डालना चाहिए. लेकिन डॉक्टर की सलाह को नजरअंदाज करके हर साल लोग यह परंपरा निभा रहे हैं. 

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