MP News: उमरिया जिले में स्थित सज्जन उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को निर्वाचन आयोग ने हिस्टॉरिकल वोटिंग सेंटर का दर्जा दिया है. इस सेंटर की खास बात यह है कि यह वोटिंग सेंटर 104 साल पुराना स्कूल है और यह 1952 के बाद से अब तक सभी चुनावों का साक्षी रह चुका है.
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Historical Voting Center: मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में देश का सबसे पुराना और ऐतिहासिक मतदान केंद्र स्थिति है, जो कि 104 साल पुराना है. एमपी में 19 अप्रैल को देश की 18वीं लोकसभा के प्रथम चरण का मतदान होना है. जिसको लेकर निर्वाचन आयोग की ओर से तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इसी बीच हम आपको बताने जा रहे हैं उमरिया के उस ऐतिहासिक मतदान केंद्र की कहानी जो आजादी के बाद से सभी चुनावों में मतदान का साक्षी रहा है.
मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित सज्जन उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मतदान केंद्र है. इसकी स्थापना 1920 में हुई थी और आज इस स्कूल को स्थापित हुए 104 वर्ष बीत चुके हैं. यह स्कूल आजादी के बाद से 1952 में हुए पहले आम चुनावों से लेकर आज तक के सभी चुनावों का गवाह रहा चुका है.
मतदान के लिए पिंक 4 बूथ
19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सज्जन स्कूल में चार मतदान केंद्र बनाए गए हैं. खास बात तो यह कि इस ऐतिहासिक मतदान केंद्र के महत्व को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने इसे हिस्टोरिकल वोटिंग सेंटर का दर्जा दिया है. यहां के चारों बूथ पिंक बूथ बनाए गए हैं और मतदान के लिए मतदान अधिकारियों में महिला अधिकारी व कर्मचारियों की तैनाती की गई है. इसके अलावा मतदान केंद्र में मतदाताओं की सुविधा के लिए छाया,पानी,रैंप की व्यवस्था भी बनाई जा रही है.
रीवा के राजा ने की थी स्थापना
सन 1920 में रीवा रियासत के भांजे और राजा रतलाम सज्जन सिंह ने इस स्कूल की स्थापना कि थी. रीवा रियासत के तत्कालीन महाराज गुलाब सिंह ने इसका उद्घाटन किया था. शुरुआत दौर में इस स्कूल का नाम एंग्लो वर्नाकुलर माध्यमिक विद्यालय (AVM) था जो बाद में सज्जन स्कूल के नाम से जाना जाने लगा.
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एक्सीलेंस स्कूल का दर्जा हासिल
वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा मंडल ने इस स्कूल को एक्सीलेंस स्कूल का दर्जा दिया है. निर्वाचन आयोग ने ज्यादा से ज्यादा मतदान के लिए मतदाताओं को आकर्षित करने के उद्देश्य से नवाचार करते हुए इसे ऐतिहासिक मतदान केंद्र का दर्जा दिया गया. निश्चित रूप से उमरिया के मतदाताओं के लिए यह गर्व की बात है. अब देखना है कि निर्वाचन आयोग की इस पहल से लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने में कितनी कारगर साबित होती है.