पाकिस्तान में मंदिर बनवाने वाली गीता का असली नाम है राधा, 6 साल बाद मिला परिवार
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पाकिस्तान में मंदिर बनवाने वाली गीता का असली नाम है राधा, 6 साल बाद मिला परिवार

साल 2015 में पाकिस्तान से भारत लौटी गीता को उसका परिवार मिल गया है. इस संबंध में भोपाल जीआरपी ने गीता, उसकी मां और बड़ी बहन को लेकर एक प्रेस कांन्फ्रेंस की. इसमें गीता के बारमें पूरी जानकारी दी गई.

पाकिस्तान में मंदिर बनवाने वाली गीता का असली नाम है राधा, 6 साल बाद मिला परिवार

आकाश द्विवेदी/भोपाल: पाकिस्तान से लौटी गीता की अपने असली परिवार को लेकर खोज आखिरकार पूरी हो गई, उसे उसका परिवार महाराष्ट्र में मिल गया है. इस संबंध में भोपाल जीआरपी ने गीता, उसकी मां और बड़ी बहन को लेकर एक प्रेस कांन्फ्रेंस की. इसमें गीता के बारमें पूरी जानकारी दी गई. इस दौरान गीता ने मीडिया, पुलिस और प्रशासन का आभार जताया. इसके अलावा उसने पाकिस्तान में अपने अनुभव के बारे में भी बताया.

गीता ने पाकिस्तान में बनवाया था मंदिर
साइन लैंग्वेज में बात करते हुए गीता ने बताया कि मैं बचपन से पढ़ी नहीं, पहले मैं पाकिस्तान के कराची में रही फिर में लाहौर आई. आगे चलकर मैं मूक बधिरों की टीचर बनाना चाहती हूं. गीता ने कहा मुझे इंडिया पसन्द हैं. मैं गलती से पाकिस्तान चली गई थी. उसने बताया कि कराची में जिद करके उसने मंदिर बनवाया था. उसने बताया कि पाकिस्तान में लोग नॉनवेज खाते था. उसे वो खाना पसंद नहीं थी.

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गीता का असली नाम है राधा
भोपाल रेल आईजी महेंद्र सिंह सिकरवार ने बताया कि समझौता एक्सप्रेस से गलती से बच्ची पाकिस्तान चली गई थी. उसने साइन लैंग्वेज से बड़ी मुश्किल से बताया कि उनका नाम कृष्ण भगवान से रिलेटेड है. काफी मेहनत के बाद पता चला कि उसका नाम राधा है, लेकिन लोग उसे गीता के नाम से जानते हैं.

पेट के निशान के आधार पर हुई पहचान
महेंद्र सिंह सिकरवार ने बताया कि गीता के साथ इंदौर के दो कॉन्स्टेबल इनके साथ ही परिवार को खोजने में लगे थे. 6 साल की मेहनत के बाद गीता को उसका असली नाम और परिवार मिल गया है. गीता के पहचान उसके परिवार ने पेट की निशानी के आधार पर कन्फर्म किया है.

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22 साल पहले चली गई थी पाकिस्तान
बता दें 22 साल पहले साल 2000 में गीता बिछड़ गयी थी. उसने 15 साल तक पाकिस्तान में अपना जीवन गुजारी. उसके बाद उसे 2015 से काफी प्रयास करके भारत लाया गया. अब 5 साल बाद उसका परिवार उसे मिल गया है. इन 6 साल में गीता इंदौर, भोपाल और मुंबई में रही.

सुषमा स्वराज ने ली थी देखभाल की जिम्मेदारी
पूर्व विदेश मंत्री स्व सुषमा स्वराज ने गीता की काफी मदद की थी और उसकी पूरी देखभाल की जिम्मेदारी ली थी. साथ ही उसे उसके परिवार की खोज करके सही सलामत पहुंचाने की भी जिम्मेदारी उठाई थी, किंतु अचानक उनका निधन हो गया था, इसके बावजूद शासन-प्रशासन लगातार गीता के परिवार को खोजने में लगी थी.

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