शैलेंद्र सिंह भदौरिया/ग्वालियर। मध्य प्रदेश नगरीय निकाय चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी भी पूरा जोर लगाती नजर आ रही है. आप ने प्रदेश के सभी नगर निगमों में महापौर पद के लिए प्रत्याशी उतारे हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आप की एंट्री महापौर पद के लिए मुकाबला त्रिकोणीय कर सकती है. ग्वालियर में भी कांग्रेस बीजेपी के साथ-साथ इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में है, खास बात यह है कि जो आप पार्टी की कुछ दिन पहले तक महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष थी, ऐसे में यहां मुकाबला रोचक होता जा रहा है. 


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आप के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के बागी 
ग्वालियर में कई नाराज कांग्रेसी आम आदमी पार्टी के समर्थन से वार्डों में चुनाव लड़ रहे हैं, हालांकि कांग्रेस और बीजेपी के नेता आम आदमी पार्टी को एक दूसरे की बी टीम करार दे रहे हैं, जबकि आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रुचि राय का कहना है कि वह किसी भी दल के वोट काटने के लिए नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी की विजय के लिए मैदान में हैं. 


कांग्रेस को बोली कोई फर्क नहीं पड़ेगा 
दरअसल, यह पहला मौका है जब ग्वालियर महापौर चुनाव के लिए मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है. आम आदमी पार्टी के मैदान में होने से सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस को हो सकता है, क्योंकि आप की प्रत्याशी कांग्रेस में रह चुकी हैं, हालांकि कांग्रेस नेता आरपी सिंह का कहना है कि कांग्रेस का वोटर विचारधारा का वोटर है, वह व्यक्ति के साथ नहीं विचारधारा के साथ चलता है, रुचि राय जब तक कांग्रेस में थी तो जनता उनके साथ थी आज उन्होंने पार्टी की विचारधारा से अलग होकर चुनाव लड़ा है, ऐसे में कांग्रेस को इसका कोई फर्क नहीं पड़ेगा. 


बीजेपी बोली जनता का भरोसा मिलेगा 
वहीं आप की एंट्री पर बीजेपी के प्रवक्ता आशीष अग्रवाल का कहना है कि ग्वालियर का वोटर समझदार है, पिछले 5 दशकों से वह विकास की पर्याय भारतीय जनता पार्टी का महापौर चुनता आ रहा है और इस बार भी वह बीजेपी पर ही भरोसा जताएगा. 


आप ने भी भरा दम 
हालांकि आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रुचि राय का कहना है कि इस बार जनता बदलाव चाहती है, जिस तरीके से उसने देखा कि दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी ने विकास किया यही कारण है कि उन्हें भरपूर समर्थन मिल रहा है, वह किसी के वोट काटने के लिए नहीं बल्कि शहर के विकास के लिए चुनाव मैदान में हैं. ऐसे में अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में आम आदमी पार्टी के चुनाव में दखल के चलते किसको कितना नफा नुकसान होता है?. 


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