haadson ka khalghat: आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित खलघाट की संजय सेतु पुलिया पर बस अनियंत्रित होकर हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई. ऐसा पहले बार नहीं है खलघाट में हादसों का पुराना इतिहास है. यहां अब तक हुई 3364 दुर्घटनाओं में 410 लोगों की मौत हो चुकी है.
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कमल सोलंकी/धार: मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर खलघाट के समीप हुए सोमवार को हुए बस एक्सीडेंट के बाद शासन-प्रशासन हरकत में आ गया है. मंगलवार को घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच शुरू की. इस हादसे में 12 लोगों की जान चली गई है. हालांकि ऐसा पहले बार नहीं है खलघाट में हादसों का पुराना इतिहास है. यहां अब तक हुई 3364 दुर्घटनाओं में 410 लोगों की मौत हो चुकी है.
अब तक हो चुकी हैं 410 मौतें
राऊ-खलघाट फोरलेन पर गणपति घाट से गुजरते समय वाहन चालक भगवान से सुरक्षित रहने की कामना करके ही आगे बढ़ते हैं. इस घाट पर ढलान के कारण दुर्घटनाएं अधिक होती हैं. इससे वाहन चालकों में दहशत है. आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित गणपति घाट में बीते 14 सालों में 3364 दुर्घटनाएं हो चुकी, जिनमें 410 लोग जान गवा चुके हैं.
4 प्वाइंट में जानें खलघाट
500 करोड़ रुपये में बना राऊ-खलघाट फोर लेन
2006 में शुरू हुआ काम
2008 में पूरा हुआ
3364 दुर्घटनाएं 14 साल में हो चुकी हैं
410 लोगों की जान जा चुकी है
विशेषज्ञ ने बताई हादसों की असली वजह
फोर लेन के निर्माण के दौरान गणपति घाट के दो किलोमीटर के हिस्से में तकनीकी खामी आ गई है. विशेषज्ञ जेके राजपुरोहित के मुताबिक घाट का ढलान ज्यादा है. पहले सड़क संकरी और घुमावदार थी. इसे सीधा करने के प्रयास में पहाड़ी को और काट दिया गया. इस वजह से ढलान भी बढ़ गई. इस वजह से यह हादसों का बड़ा कारण बन गया.
ये है घाट पर हादसे की वजहें
- घाट से उतरने वाले वाहनों के चालक ब्रेक लगाते ही ब्रेक लाइनर्स फंस जाते हैं. इससे वाहन बेकाबू हो जाते हैं और आगे बढ़ रहे वाहनों से टकरा जाते हैं. कभी-कभी वे डिवाइडर तोड़कर दूसरी लेन में चले जाते हैं.
-घाट में ढलान अधिक होने के कारण चालक ट्रक को न्यूट्रल में चलाता है. इससे उनका डीजल तो बचता है, लेकिन इस प्रक्रिया में उनके वाहनों के ब्रेक फेल हो जाते हैं, जो हादसों का कारण बनता है.
अब तक किए गए ये उपाय
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने घाट को बेहतर बनाने के लिए अब तक कई प्रयास किए हैं. एनएचएआई ने दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में स्पीड ब्रेकर, हाई मास्ट, साइन बोर्ड और रेलिंग भी बनाए हैं. चेतावनी बैनर लगाने के साथ ही कांवय (पुलिस की निगरानी में वाहनों का काफिला) के लिए पुलिस चौकी भी बन गई. इन सभी कार्यों पर अब तक सरकार 25 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है.
अस्थायी उपायों पर एक नजर
- दो किलोमीटर में लगे आयरन सेल
- लैंडिंग लेन पर सड़क को दो भागों में बांटा गया था
- लोहे की कोठरियों को फोरलेन की पट्टी पर रखकर मार्ग को विभाजित किया
- इसमें बड़े वाहनों को एक तरफ से निकलने का प्रावधान किया गया था।
- छोटे वाहनों को हटाने की व्यवस्था की गई
- पुलिस चौकी बनाई गई
- वाहनों की गति सीमित करने का प्रावधान किया गया है
असफलता के कारण
सड़क के बीच में लोहे की छड़ों के बीच जगह होने के कारण वाहन चालक दूसरी गली में पहुंच जाते हैं. छोटे वाहन भारी वाहनों की लेन से गुजरते हैं, जबकि बड़े वाहन छोटे वाहनों की लेन में प्रवेश करते हैं. यह भी हादसे का कारण बन रहा है.
NHAI कर रहा है ये प्रयास
हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने हादसों को रोकने के लिए एक बड़ा प्लान बनाया है. इसमें घाट के नौ किलोमीटर हिस्से में नया फोर लेन बनाया जाएगा. इसके लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद काम किया जाएगा.
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