तेंदुए के बच्चों को जब एक गांव से रेस्क्यू कर लाया गया था. ऐसे में इंदौर कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में फीमेल डॉग ने अपनी ममता इनपर बरसाई और इन्हें अपना दूध पिलाया है
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शताब्दी शर्मा/ इंदौर: इंदौर जू में दो बिन मां के शावक एक हफ्ते पहले लाए गए थे लेकिन अब मानो भगवान को दोनों बच्चों पर ऐसी कृपा हुई है कि उन्हे मातृत्त्व दुलार आशीर्वाद में मिल रहा हो. जी हां इंदौर के कमला नेहरू प्राणी संग्राहलय में लेपर्ड के शावक को एक नहीं बल्कि दो-दो मां का प्यार और दुलार अब मिल रहा है.
Indore News: तेंदुए के बच्चों को दूध पिलाती नजर आई फीमेल डॉग, सामने आई तस्वीर
शावकों ने रेडीमेड दूध से बनाई दूरी
रेस्क्यू कर लाए गए लेपर्ड शावक कुछ दिन पूर्व ही जन्मे हैं. तेज बारिश में बहते पानी से ये बच्चे गांव की और आ गए. जहां वन विभाग ने इन्हें इंदौर जू को इनकी केयर के लिए सुपुर्द किया. चार दिन जू प्रबंधन ने इन बच्चों को रेडीमेड दूध पिलाने की कोशिश की लेकिन इनकी हेल्थ में कोई असर नहीं था. रेडीमेड दूध से दूरी बनाने पर जू प्रबंधन ने फीमेल डॉग की तलाश में जुट गए.
डॉक्सी ने पिलाया था दूध
दो दिन पूर्व इन नन्हें शावक को डॉक्सी ने अपना प्यार देकर जहां दुग्धपान कराया था और इन बच्चों को डेंजर जोन से निकाला था और बच्चों स्वस्थ करने में भरपूर सहयोग दिया था. वहीं नन्हे शावकों की मां से बिछड़ने की आह! मानो भगवान ने सुन ली है. १ हफ्ते बाद जहां दोनों शावकों को फीमेल डॉक्सी ने दूध पिलाया लेकिन दुलार नहीं दे पाई तब जू प्रबंधन द्वारा दोनों शावकों के लिए एक और मां सिडजू को भी शावकों की देखभाल के लिए लाए है.
एक मां के साथ दूसरी मां का प्यार पाने वाले तेंदुए के ये शावक सिडजू के साथ काफी घुल मिल गए है और सिडजू भी इन बच्चों का ख्याल मां को भाती ही कर रही है. खास बात ये है सिडजु खुद इन बच्चों के साथ खुद पिंजरे में रहने में भी खुश है और अपना दुलार दोनों बच्चों पर लूटा रही है.
कौन है ये सिडजू?
दरअसल लिंबोदी से लाई गई सिडजू ब्रीड की फीमेल डॉग का नाम भी सिडजू है. जो चार साल की है. जिसने दो दिन पूर्व ही अपने बच्चे को जन्म दिया था. कुछ घंटों में उसके बच्चे ने उसे अलविदा कह दिया. बिन बच्चे के उदास रहने वाली सिडजू को रविवार इंदौर जू में लाया गया. जहां अपने बच्चे से बिछड़ी मां को दो नन्हे शावक मिले है और मां से बिछड़े शावकों को भी सिडजू मां का दुलार मिल रहा है.
जू प्रबंधक डॉक्टर उत्तम यादव ने बताया तेंदुए के नन्हे शावक को अब दो मां का प्यार दिया जा रहा है. डाक्सी के ज्यादा बड़े होने से बच्चे उसके साथ मां की तरह दुलार पाने में असहज दिखाई देने लगे. वे उसका दूध अभी भी पियेंगे लेकिन मां की तरह दुलार न मिलता देख हम सिडजू को लेके आए है. सिडजू के आने से उन्हें मां के दूध के साथ मां का दुलार भी मिल रहा है और खास बात है शावकों के साथ सिडजू पिंजरे में रहने में भी खुश नजर आ रही है. इससे साफ झलकता है बच्चे को खोने के बाद सिड़जू तेंदुए के बच्चों को अपने बच्चों की तरह दुलार दे रही है. वाइल्ड एनिमल के साथ पिंजरे में रहना हर प्राणी एक्सेप्ट नहीं करता है