OBC आरक्षण को लेकर कमलनाथ ने दी सरकार को धमकी, बोले- हम चुप नहीं बैठेंगे!
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OBC आरक्षण को लेकर कमलनाथ ने दी सरकार को धमकी, बोले- हम चुप नहीं बैठेंगे!

कमलनाथ यहीं नहीं रुके और बोले कि "पूर्व में भी भाजपा सरकार के नकारापन और कमजोर पैरवी के कारण प्रदेश में बगैर ओबीसी आरक्षण पंचायत चुनाव कराने की तैयारी की जा रही थी.

OBC आरक्षण को लेकर कमलनाथ ने दी सरकार को धमकी, बोले- हम चुप नहीं बैठेंगे!

आकाश द्विवेदी/भोपालः ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने सरकार पर निशाना साधा है. कमलनाथ ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने की साजिश रच रही है. कमलनाथ ने ये भी कहा कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के बगैर पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव नहीं होने चाहिए. 

क्या बोले कमलनाथ
कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा कि "मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद से ही भाजपा ओबीसी वर्ग के बढ़े हुए आरक्षण को समाप्त करने का षडयंत्र रच रही है. हमारी सरकार ने ओबीसी वर्ग के हित में उनके आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी किया था. कमलनाथ ने आरोप लगाया कि शिवराज सरकार नहीं चाहती कि ओबीसी वर्ग को बढ़े हुए आरक्षण का लाभ मिले." 

कमलनाथ यहीं नहीं रुके और बोले कि "पूर्व में भी भाजपा सरकार के नकारापन और कमजोर पैरवी के कारण प्रदेश में बगैर ओबीसी आरक्षण पंचायत चुनाव कराने की तैयारी की जा रही थी. तब भी हमने इसे लेकर सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ी और यह सुनिश्चित किया था कि बगैर ओबीसी आरक्षण के प्रदेश में चुनाव ना हों. अभी भी हमारा दृढ़ संकल्प है कि प्रदेश में बगैर ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव नहीं होने चाहिए. यदि भाजपा सरकार ने ऐसा किया तो हम चुप नहीं बैठेंगे. इसे लेकर चाहे जितना भी संघर्ष करना पड़े, हम जरूर करेंगे."

बता दें कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने पिछड़ा वर्ग की स्थिति को लेकर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. जिसे सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया. हालांकि कोर्ट इस रिपोर्ट से खुश नहीं दिखाई दिया. जिस पर सरकार ने कोर्ट से एक हफ्ते का समय और मांगा है लेकिन कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर की. माना जा रहा है कि कोर्ट 10 मई को इस मामले में अहम फैसला दे सकता है. 

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण मामले में अहम फैसला देते हुए बिना ओबीसी आरक्षण के ही चुनाव कराने के निर्देश दिए थे. ऐसे में मध्य प्रदेश के मामले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. 

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