Krishna Janmashtami: 6 सितंबर को देश के कई हिस्सों में जन्माष्टमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इस उपलक्ष्य में उज्जैन में स्थित सांदीपनि आश्रम में उत्सव का आयोजन किया गया था. इस बार यहां नींबू और भुट्टे से कान्हा का विशेष श्रृंगार किया गया था. इस आश्रम के इतिहास की वजह से इसका बड़ा महत्व है.
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Ujjain Krishna Janmashtami: भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली में देर रात 12 बजे कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया. बड़ी संख्या में भक्तजन भगवान के दर्शन का लाभ लेने के लिए पहुचें थे. जहां इस बार नींबू और भुट्टे से कान्हा का विशेष श्रृंगार हुआ था जो बड़ा ही अद्भूत दिख रहा था . पंडित रूपम व्यास ने यहां पूजा-आरती का कार्य संपन्न किया और बताया कि पंचामृत पूजन अभिषेक के बाद 12 बजे महाआरती की गई जिसके बाद दर्शन का क्रम शुरू किया गया और इस भक्ति मय माहौल में बड़ी संख्या में भक्त आनंदित दिखाई दे रहे थे. इस आश्रम के इतिहास के बाने में जानते है और इससे जुड़े इतिहास के बारे में समझने का प्रयास करते है.
जानिए श्री कृष्ण सांदीपनि आश्रम का इतिहास
सांदीपनि आश्रम में भगवान श्री कृष्ण ने गुरु सांदीपनि से 64 दिनों के अल्प समय में सम्पूर्ण शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण कर ली थी, जिसमें गुरु सांदीपनि ने श्री कृष्ण को 64 विद्या और 16 कलाओं का ज्ञान दिया था. भगवान श्री कृष्ण ने चार दिन में चार वेद, 6 दिन में छः शास्त्र और 16 दिन में 16 कलाएं , 18 दिन में 18 पुराण, 20 दिन में गीता का ज्ञान प्राप्त कर इतिहास रच दिया था. आज इसी कारण इस स्थान का बड़ा महत्व है और ऐसा भी माना जाता है कि ये दुनिया की पहली पाठ शाला है.
पुजारी ने बताया आश्रम का महत्व
पंडित रूपम व्यास ने कहा कि द्वापर युग मे भगवान श्री कृष्ण द्वारा कंस का वध करने के पश्चात मथुरा में उनका यग्योपवित्र संस्कार हुआ था. श्री कृष्ण के पिता वासुदवे ने उनके पठन पाठन की विशेष चिंता की और महृषि सांदीपनि के आश्रम में उनको पहुँचाया क्योंकि उस समय महृषि सांदीपनी का बड़ा नाम था जो कि एक महान विद्वान ब्राह्मण और शिव के उपासक गुरु माने जाते थे. जहां दाखिले के बाद श्री कृष्ण ने शिक्षा अर्जित की और संसार को ज्ञान दिया.