Padma Shri Award 2022: भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म अलंकरणों की घोषणा कर दी है. इस साल मध्य प्रदेश के खाते में 5 पद्मश्री आए हैं. ये अपने-अपने क्षेत्र में विशेष काम करने वाली प्रदेश की 5 हस्तियों को दिया जाएगा. हालांकि इनमें से एक सख्शियत अब हमारे बीच नहीं हैं.
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भोपाल: भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म अलंकरणों की घोषणा कर दी है. इस साल मध्य प्रदेश के खाते में 5 पद्मश्री आए हैं. ये अपने-अपने क्षेत्र में विशेष काम करने वाली प्रदेश की 5 हस्तियों को दिया जाएगा. हालांकि इनमें से एक सख्शियत अब हमारे बीच नहीं हैं. उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री से नवाजा जाएगा.
ये हैं पद्मश्री से नवाजे जाने वाले 5 नाम
भोपाल के डॉ एनपी मिश्रा (मरणोपरांत)- चिकित्सा के क्षेत्र में विशिष्ट सेवा
मंडला के अर्जुन सिंह धुर्वे- आदिवासी नृत्य के क्षेत्र में बेहतर काम
छतरपुर के अवधकिशोर जड़िया- साहित्य और शिक्षा में योगदान
सागर के राम सहाय पांडे- कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य
मंडला की दुर्गा बाई व्याम- कला के क्षेत्र बेहतरीन काम
डॉ एनपी मिश्रा
डॉ एनपी मिश्रा को मध्य प्रदेश में चिकित्सा क्षेत्र का पितामह कहा जाता है. उनके पढ़ाए छात्र देश-दुनिया में ख्याती प्रसिद्ध डॉक्टर हैं. भोपाल में वर्ष 1984 में हुई भीषण गैस त्रासदी के दौरान मरीजों क इलाज में उनकी बड़ी भूमिका थी.
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राम सहाय पांडे
बुंदेलखंड के लोक कलाकार रामसहाय पांडे जाने माने राई नर्तक हैं. उन्होंने राई जैसे परंपरागत नृत्य को मृदंग के साथ लयकारी देकर एक नया इतिहास रचा. उनका जन्म 11 मार्च, 1933 को एक गरीब ब्रह्मण परिवार में हुआ था. छह साल की उम्र में पिता और 11 साल की उम्र में उनकी मां का निधन हो गया था. मृदंग बजाने की धुन में उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया. उन्हें समाज की प्रताड़नाएं झेलनी पड़ीं, लेकिन राई नृत्य नहीं छोड़ा.
दुर्गा बाई व्याम
मंडला जिले के बुरबासपुर में पैदा हुईं दुर्गाबाई की चित्रकारी काफी फेमस है. जब वह छह साल की थीं, तभी से उन्होंने अपनी मां से डिगना की कला सीखी. वे लोककथाओं को भी चित्रित करती हैं. इसके लिए वह अपनी दादी की आभारी हैं जो उन्हें अनेक कहानियां कहती थीं. दुर्गा बाई ने भोपाल में जनजातीय संग्रहालय में काफी काम किया है.
अर्जुन सिंह धुर्वे
डिंडोरी जिले के रहने वाले अर्जुन सिंह धुर्वे बैगा लोककला के ध्वजवाहक हैं. बैगा लोकगीत और नृत्य के लिए वे मशहूर हैं. पिछले चार दशकों से वे जनजातीय कला को लोकप्रिय बनने के काम में लगे हैं.
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अवध किशोर जाड़िया
बुंदेली कवि अवध किशोर जाड़िया का जन्म छतरपुर के हरपालपुर में 17 अगस्त, 1948 को हुआ था. शुरुआती शिक्षा के बाद उन्होंने ग्वालियर से बीएएमएस की डिग्री ली. इसके बाद सरकारी सेवा में रहते हुए वे बुंदेली साहित्य को आगे बढ़ाने में लगातार लगे रहे. वंदनीय बुंदेलखंड, ऊधव शतक, कारे कन्हाई के कान लगी है और विराग माला इनकी प्रमुख रचनाओं में शामिल हैं.
भारत सरकार की ओर से जारी साल 2021 की सम्मान सूची के अनुसार, चार हस्तियों को पद्म विभूषण सम्मान दिया जाना है. पद्म भूषण सम्मान 17 हस्तियों को और 107 लोगों पद्मश्री पुरस्कार दिया जाएगा. सीडीएस जनरल बिपिन रावत (मरणोपरांत), प्रभा अत्रे, राधेश्याम खेमका और कल्याण सिंह( मरणोपरांत) को पद्म विभूषण से सम्मानित किया जायेगा.
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