MP News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल अंचल के दो जिलों में मदरसों में मुस्लिमों से ज्यादा हिंदू बच्चे दर्ज है, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से ज्यादातर बच्चे पढ़ने नहीं आते हैं. जिससे यहां फर्जीवाड़े की आशंका बनी दिख रही है.
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Madrasa Politics: मध्य प्रदेश के भिंड और मुरैना दो ऐसे जिले हैं, जहां पर मुस्लिम आबादी कम है. लेकिन यहां सबसे ज्यादा मदरसे हैं, जिनमें हैरान करने वाली बात यह है कि इन मदरसों में मुस्लिमों से ज्यादा हिंदू बच्चों का एडमिशन है. लेकिन यह बच्चे रोज यहां पर पढ़ाई करने के लिए आते ही नहीं है, बल्कि उनका एडमिशन दूसरे स्कूलों में है. ऐसे में सरकारी पैसे के लिए यह बड़ा फर्जीवाड़ा समझ में आ रहा है. क्योंकि प्रदेश में मदरसों में दर्ज 100 बच्चों के लिए 50 हजार रुपए मिलते हैं.
मुरैना और भिंड जिले के मदरसे
दरअसल, मध्य प्रदेश के भिंड और मुरैना जिले में कुल 137 मदरसे चलते हैं, जिनमें से भिंड जिले में 67 और मुरैना जिले में 70 मदरसे हैं. अब सवाल यह है कि दोनों जिलों के इन मदरसों में 3 हजार 880 हिंदू बच्चे दर्ज हैं. यानि इनका यहां पर एडमिशन है. समग्र आईडी के आधार पर इन बच्चों का यहां पर दाखिला हुआ है. लेकिन जांच में पता चला है कि ज्यादातर बच्चें इन मदरसों में तालीम लेने के लिए आते ही नहीं हैं, क्योंकि उनका दाखिला तो दूसरे सरकारी या फिर निजी स्कूलों में है. खास बात यह है कि इन बच्चों में से कई के तो माता पिता को भी पता नहीं है कि उनके बच्चे का एडमिशन मदरसों में है.
100 बच्चों पर मिलते हैं 50 हजार
बड़ा सवाल यह है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला जिला बुरहानपुर है, लेकिन यहां कुल 23 मदरसे संचालित होते हैं. लेकिन भिंड और मुरैना में मुस्लिम आबादी प्रदेश में सबसे कम है, उसके बाद भी यहां इतने मदरसे संचालित हो रहे हैं. जिसके पीछे बड़े फर्जीवाड़े की शंका है, क्योंकि मदरसों में भर्ती हर 100 बच्चों पर 50 रुपए हर महीने मिलते हैं. क्योंकि इन बच्चों को खाद्यान्न, मिड डे मील, सरकारी अनुदान जैसी सुविधाएं मिलती हैं. जिससे यहां बड़ा मामला समझ में आ रहा है. राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के मुताबिक इस मामले की जांच शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं.
मुरैना और भिंड में संचालित ज्यादातर मदरसों की जब जांच की गई तो यहां के मदरसों में दर्ज ज्यादातर हिंदू बच्चों में से यहां तालीम लेने आ ही नहीं रहे थे. क्योंकि वह तो दूसरे स्कूलों में पढ़ने जाते हैं. पूरे खेल को समझा जाए तो यह मामला फर्जीवाड़े का ही नजर आता है.
यह हैं नियम
अगर किसी मदरसे में 100 बच्चे दर्ज हैं और हर माह में उनकी उपस्थिति 70 प्रतिशत तक रहती है तो फिर उन्हें कई सुविधाएं शासन की तरफ से दी जाती है. जैसे 70 प्रतिशत उपस्थिति पर 2.10 क्विटंल गेहूं, 11440 रुपए कुकिंग कॉस्ट, रसोइए के लिए 4 हजार रुपए का महीना जैसी सुविधाएं मिलती हैं. इसके अलावा पढ़ाने वाले ग्रेजुएट शिक्षक के लिए 3 हजार रुपए और पोस्ट ग्रेजुएट के लिए 6 हजार रुपए का वेतन मिलता है.
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