Expert Comment On MP Election: मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कांग्रेस पार्टी को आंतरिक गुटबाजी और अति आत्मविश्वास की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है तो चलिए समझते हैं क्या कमल नाथ के नेतृत्व में कांग्रेस करेगी कमाल?
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Expert Comment On leadership of Kamal Nath: मध्य प्रदेश (MP News) में अब कुछ ही दिनों में विधानसभा के चुनाव (MP Election 2023) होने वाले हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के कांग्रेस पार्टी अपना पूरा जोर लगा रही है और इसको लेकर पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ पूरी तैयारी में जुटे हुए हैं तो चलिए वरिष्ठ पत्रकार अनंत अमित से समझते हैं कि आने वाले चुनाव में कांग्रेस पार्टी कमलनाथ के नेतृत्व में कमाल कर सकती है या नहीं?...
कांग्रेस में गुटबाजी
चुनाव में कोई भी राजनीतिक दल अपने समर्पित कार्यकर्ताओं के बल पर ही चुनाव लड़ता है, लेकिन जब कार्यकर्ता ही हताश होने लगे, तो आशंका के बादल घिरते दिखाई पड़ता है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में हाल की कई घटनाओं को लेकर ऐसे ही हताशा देखने को मिल रही है. चाहे मालवा हो या निमाड़ या हो विंध्य का इलाका. हर तरफ आपसी गुटबाजी और सरेआम नेताओं के बीच हाथापाई की घटनाओं से पार्टी कार्यकर्ता असमंजस में दिखाई पड़ रहे हैं. हद तो तब हो गई, जब इंदौर में एक ओर भाजपा के नेताओं की सभाओं में खचाखच भीड़ थी. दूसरी ओर कांग्रेस के सम्मेलन में सैकड़ों खाली कुर्सियां मानो मंच को मुंह चिढ़ा रही हों.
भाजपा का उत्साह बढ़ा
बता दें कि कमलनाथ की रैली में खाली कुर्सियां देखकर कांग्रेस के ही नेता कह रहे हैं कि कहीं अति आत्मविश्वास भारी न पड़ जाए. एक तरफ कठिन चुनौती मानकर भाजपा का पूरा सत्ता-संगठन कार्यकर्ताओं को लामबंद करने में जुटा है. भाजपा की ओर से जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सभा इंदौर में हुई तो आलाकमान की सक्रियता से स्थानीय स्तर पर भाजपा का उत्साह बढ़ा है. दूसरी ओर, कांग्रेस भले ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बूते पूरा जोर लगा रही है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद दिग्विजय सिंह की अलग सक्रियता और गुटबाजी से कांग्रेस कार्यकर्ता ही संशय में दिखाई पड़ रहे हैं.
अब कमलनाथ को जानता अपना नाथ मानती है या नहीं ये तो बाद में पता चलेगा, लेकिन उनकी रैली का फीकापन देखकर कांग्रेसियों का डर तो स्वाभाविक है. कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि हम बस ये सोचकर बैठ गए हैं कि शिवराज का राज खुद ब खुद चला जायेगा, लेकिन मोदी - शाह की जोड़ी हारी हुई बाजी भी पलट देती है. यहां तो अभी शिवराज का ही राज है. इसलिए अगर कांग्रेस चौकन्ना नहीं हुई तो मध्य प्रदेश में कमलनाथ का हाथ सत्ता से फिर दूर न रह जाए. बाकी एक पेंच यह भी है कि कांग्रेस के कई बड़े नेता अभी से कह रहे हैं. भाई अबकी बार कांग्रेस नहीं कमलनाथ की लड़ाई है. यानी कांग्रेस में भितरघात भी कम नहीं. फिलहाल भाजपा चुनौतियों के बीच अपना घर संभालकर सत्ता की राह संवारने में पूरी ताकत से जुट गई है. वहीं, कांग्रेस भाजपा की विफलता में अपनी सफलता की आस लगाए हुए हैं.
इस बीच खबर यह भी आ रही है कि मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के चुनाव में दावेदारों की संख्या को देखते हुए सर्वे कराने का निर्णय लिया है. पार्टी के इन्हीं फैसलों ने दावेदारों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी कर दी हैं. दावेदार राज्य की राजधानी से लेकर दिल्ली तक पार्टी मुख्यालय और राजनेताओं के चक्कर लगाने में लगे हैं. पार्टी के नेता इन दावेदारों को लगातार यही कह रहे हैं कि सर्वे में जिसका नाम आएगा, उसे ही पार्टी उम्मीदवार बनाएगी. जिस भी व्यक्ति का नाम सर्वे में आएगा उसे ही उम्मीदवार बनाया जाएगा. परिवारवाद और राजनेताओं के संरक्षण मात्र पर टिकट हासिल करना गारंटी नहीं होगा, यह भी बार-बार दोहराया जा रहा है. बीते तीन साल से चुनाव की तैयारी में लगे एक दावेदार का कहना है कि बीते दो चुनावों से पार्टी के सामने अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. मगर उन्हें पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बनाया. वहीं, दूसरी ओर बडे़ राजनेता के संरक्षण प्राप्त व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया और उसे दोनों बार हार का सामना करना पड़ा. अब पार्टी कह रही है कि सर्वे के आधार पर टिकट देंगे. ऐसे में आशंकाएं जोर पकड़ रही हैं क्या वाकई में सर्वे से टिकट मिलेगा या नेता का संरक्षण हासिल व्यक्ति को?
(अनंत अमित राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं. विचार व्यक्तिगत हैं.)