MP Nikay Chunav काफी दिलचस्प हो गया है क्योंकि भाजपा, कांग्रेस और बसपा जैसी पार्टियों को टक्कर देने के लिए निकाय चुनाव में एआईएमआईएम के बाद अब समाजवादी पार्टी ने भी एंट्री ले ली है. आइए जानते हैं कि समाजवादी पार्टी के आने से एमपी की राजनीति में क्या असर होगा और इससे क्या बदलाव हो सकते हैं...
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आकाश द्विवेदी/भोपालः मध्य प्रदेश के निकाय चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के बाद एक और पार्टी की एंट्री हो गई है. यह पार्टी है समाजवादी पार्टी. बता दें कि एमपी निकाय चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने सभी 16 नगर निगम में अपने प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है. फिलहाल पार्टी ने सभी निकायों के लिए अलग-अलग चुनाव प्रभारी उतारने का ऐलान किया है.
इन नेताओं को दी जिम्मेदारी
समाजवादी पार्टी ने सभी 16 निकायों में जिन नेताओं को प्रभारी बनाया है, उनमें इंदौर में मूलचंद यादव, सिंगरौली में विश्वनाथ सिंह मरकाम, भोपाल में शिशुपाल यादव, देवास में अनिल सिंह पवार, जबलपुर में कमलेश पटेल, ग्वालियर में रणवीर सिंह, मुरैना में पुरुषोत्तम दूबे, रतलाम में राधेश्याम पवार, रीवा में कमलेंद्र पांडे, छिंदवाड़ा में अरविंद यादव, सागर में डॉ. आशिक अली और सतना में योगराज द्विवेदी का नाम शामिल है.
MP में समाजवादी पार्टी के लिए हैं बड़ी संभावनाएं
समाजवादी पार्टी का वोटबैंक ओबीसी मतदाता माने जाते हैं. यूपी में भी पार्टी ने ओबीसी और मुस्लिम वोटबैंक के गठजोड़ से कई बार सत्ता हासिल की है. अब समाजवादी पार्टी एमपी में भी इसी तरह के किसी फार्मूले के आधार पर अपनी राजनीति मजबूत कर सकती है.
आंकड़ों की बात करें तो एमपी में ओबीसी मतदाता करीब 50 फीसदी से भी ज्यादा है. वहीं अनुसूचित जाति 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति तकरीबन 20 फीसदी हैं. वहीं सवर्ण मतदाता करीब 14 फीसदी हैं. ओबीसी मतदाताओं में यादव और लोध जाति का खासा दबदबा है और यादव करीब 5-7 फीसदी और लोध 7 फीसदी के करीब हैं. यही वजह है कि समाजवादी पार्टी को एमपी में अपनी राजनीति का भविष्य दिखाई दे रहा है.
उल्लेखनीय है कि यूपी में समाजवादी पार्टी की विपक्षी पार्टी बसपा पहले से ही मध्य प्रदेश की राजनीति में अपनी पहुंच बना चुकी है. खासकर ग्वालियर चंबल का इलाका बसपा की राजनीति के लिए काफी मुफीद माना जाता है और यहां की 12 सीटों पर बसपा का सीधा प्रभाव है.
यही वजह है कि एमपी निकाय चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. निकाय चुनाव में एआईएमआईएम के बाद समाजवादी पार्टी की एंट्री को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. ऐसे में निकाय चुनाव के नतीजों पर सभी की निगाहें रहेंगी.