OBC आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र का मामला बनेगा नजीर? तो क्या जल्द होंगे पंचायत चुनाव!
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh1176471

OBC आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र का मामला बनेगा नजीर? तो क्या जल्द होंगे पंचायत चुनाव!

कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अब तक सरकार को जो कार्रवाई करनी चाहिए थी,वह नहीं हुई है फिर एक हफ्ते में कैसे जानकारी देंगे? 

OBC आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र का मामला बनेगा नजीर? तो क्या जल्द होंगे पंचायत चुनाव!

नई दिल्लीः मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट आगामी 10 मई को अहम फैसला दे सकता है. इससे पहले राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जिसमें ओबीसी को 35 फीसदी आरक्षण देने की मांग की गई है. सरकार ने यह रिपोर्ट शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. ऐसे में कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने अपने एक ट्वीट में संभावना जताई है कि एमपी में ओबीसी आरक्षण मामले में महाराष्ट्र का मामला नजीर बन सकता है.

कांग्रेस सांसद ने कही ये बात
कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि "मध्य प्रदेश में पंचायत और नगरी निकाय चुनाव में 2 साल की देरी कानूनी दृष्टि से असहनीय है. सर्वोच्च न्यायालय इस विषय पर 10 मई को फैसला सुनाएगा. महाराष्ट्र की नजीर आ चुकी है. यदि ओबीसी या किसी भी वर्ग का नुकसान होता है तो इस देरी के लिए राज्य सरकार ही गुनहगार मानी जाएगी."

रिपोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
शुक्रवार को सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की. जिस पर सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट में कुछ कमी लगी. इस पर सरकार ने कोर्ट से कमी को दूर करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा है लेकिन कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अब तक सरकार को जो कार्रवाई करनी चाहिए थी,वह नहीं हुई है फिर एक हफ्ते में कैसे जानकारी देंगे? ऐसे में माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट 10 मई को आरक्षण के मुद्दे पर फैसला दे सकता है. 

महाराष्ट्र का मामला बन सकता है नजीर
बता दें कि महाराष्ट्र में भी पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण पर मामला फंसा हुआ था. महाराष्ट्र के राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने ओबीसी की राजनीतिक, शैक्षिक और सामाजिक स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करके सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी लेकिन कोर्ट ने इस रिपोर्ट को बिना शोध और अध्ययन के तैयार रिपोर्ट बताकर खारिज कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव कराने के निर्देश दिए थे.

इसके बाद सरकार ने परिसीमन के बाद पंचायत चुनाव कराने की बात कोर्ट में कही लेकिन कोर्ट ने कहा कि हर पांच साल में स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएं, इसमें किसी तरह की लापरवाही और देरी उचित नहीं है. ऐसे में महाराष्ट्र में जल्द ही बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव कराए जा सकते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण मामले में भी महाराष्ट्र का मामला नजीर बन सकता है.  

Trending news