Narmada Jayanti: क्या आप जानते हैं कि नर्मदा नदी पूरे भारत की एकमात्र नदी है, जिसकी परिक्रमा की जाती है? इस स्टोरी में हम बताएंगे कि नर्मदा परिक्रमा क्यों की जाती हैं? आइये जानते हैं...
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Narmada Jayanti: नर्मदा नदी को भारत में सबसे प्राचीन नदियों में से एक पवित्र नदियों में माना जाता है. माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा का धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए इस दिन नर्मदा जयंती या नर्मदा प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है. क्या आप जानते हैं कि नर्मदा नदी पूरे भारत की एकमात्र नदी है, जिसकी परिक्रमा की जाती है? इस स्टोरी में हम बताएंगे कि नर्मदा परिक्रमा क्यों की जाती हैं? आइये जानते हैं...
ऐसा कहा जाता है कि नर्मदा की परिक्रमा या यात्रा दो तरह से की जाती है. मान्यता के मुताबिक नर्मदा नदी को पार नहीं किया जाता है. नर्मदा परिक्रमा दो तरह से होती है. पहला हर माह नर्मदा पंचकोशी यात्रा और दूसरा हर साल नर्मदा की परिक्रमा होती है. हर माह होने वाली पंचकोशी यात्रा की तिथि कैलेंडर में दर्ज होती है. पंचकोसी यात्रा नर्मदा परिक्रमा के कई रुप है. जैसे लघु पंचकोसी, पंचकोसी, अर्ध पंचकोसी और पूर्ण परिक्रमा.
क्यों की जाती हैं नर्मदा की परिक्रमा?
हिंदू धर्म में परिक्रमा का काफी महत्व होता है. नर्मदा परिक्रमा एक धार्मिक होती है. पुराणों में कहा जाता है कि इस यात्रा से आपकी जिंदगी बदल जाती है. व्यक्ति के पापों का नाश हो जाता है, मोक्ष मिलता है. पुराणों के मुताबिक नर्मदा परिक्रमा करने से उत्तम जीवन में कुछ नहीं.
नर्मदा को पार नहीं किया जाता
क्या आप जानते हैं कि नर्मदा को पार नहीं किया जाता है. पौराणिक मान्यता के मुताबिक नर्मदा कुंवारी नदी है. इसकी परिक्रमा की जाती है. इसे नाव से पार भी नहीं किया जाता है. पौराणिक कथा के मुताबिक सोनभद्र और नर्मदा ने साथ रहने और जीने की कसम खाई थी लेकिन इन दोनों के बीच में जुहिला. सोनभद्र जुहिला के प्रेम में पड़ गया. इससे नाराज नर्मदा उल्टी दिशा में चल पड़ी.
क्या आप जानते हैं देश की एक मात्र नदी नर्मदा उल्टी दिशा में बहती है. सभी प्रमुख नदियां बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं,लेकिन नर्मदा अरब सागर में मिलती है. आज भी यह नदी अन्य नदियों से विपरीत दिशा में बहती है जो किसी आश्चर्य से कम नहीं है.