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अभिषेक गौर/नर्मदापुरम: सरकारी नौकरी में क्लर्क (बाबू) का अहम रोल रहता है वह किसी भी दफ्तर रीढ़ माना जाता है. अफसर भी उस पर पूरी तरह से भरोसा करते हैं. क्लर्क चाहे तो किसी को भी अपने आगे पीछे घुमा सकते हैं. ऐसा ही एक मामला नर्मदापुरम से सामने आया है. जहां पर क्लर्क (बाबू) की एक छोटी सी गलती के कारण भारतीय वन सेवा (इंडियन फॉरेस्ट सर्विस) में सीसीएफ (मुख्य वन संरक्षक) एसकेएस तिवारी तीन महीने पहले रिटायर हो गए.
दरअसल लिपिकीय त्रुटि की वजह से सर्विस बुक में दर्ज हुई गलत जन्म तारीख के कारण शासन ने सीसीएफ एसकेएस तिवारी को 3 माह पहले 31 मार्च 2023 को ही सेवानिवृत्त कर दिया. जबकि जन्म तिथि के हिसाब से 30 जून 2023 को मुख्य वनरक्षक अधिकारी को रिटायर होना था. अब वे अपना बर्थ सर्टिफिकेट लेकर दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
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एक गलती की वजह से जल्दी रिटायर
एसकेएस तिवारी ने बताया कि उनकी जन्मतिथि 12 जून 1963 है. यही जन्मतिथि उनकी सेवा पुस्तिका और उनकी हायर सेकेंडरी स्कूल की मार्कशीट में भी है. लेकिन बाबू की एक गलती की वजह उनकी ग्रेडिशन लिस्ट में यह तारीख 12 मार्च 1963 हो गई. उसी आधार पर रिटायरमेंट का आदेश मार्च को हो गया. जबकि रिटायरमेंट की तिथि सर्विस बुक से निर्धारित की जानी थी. ग्रेडेशन लिस्ट और सेवा पुस्तिका में आय अंतर की वजह से ऐसा हुआ है कि 3 महीने पहले सेवानिवृत्त का आदेश शासन की ओर से जारी हो गया.
कोई कार्रवाई नहीं हुई
एसकेएस तिवारी का कहना हैं कि यह अभी तक का पहला मामला होगा कि किसी को उसकी वास्तविक जन्मतिथि के 3 माह पूर्व सेवानिवृत्त कर दिया गया हो. उन्होंने कहां कि उनके साथ अन्याय पूर्वक कार्रवाई हुई है. उन्होंने अपने स्तर से सभी अधिकारियों से अनुरोध भी किया साथ ही विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक उनके द्वारा भी इस बात को शासन को लिखकर भेजा गया था कि यह तारीख गलत है. इनको जून में सेवानिवृत्त किया जाना चाहिए. लेकिन विभाग प्रमुख के लिखने के बाद भी इस मामले में शासन स्तर पर कोई भी संशोधन नहीं हुआ.
अब प्री-मैच्योर रिटायरमेंट मिलने से एसकेएस तिवारी तनाव में हैं. एक साल तक उन्होंने विभाग और शासन दोनों से निवेदन किया कि मेरे साथ अन्याय हो रहा है. कई दफ्तरों के चक्कर काटे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. आखिरकार उन्हें 31 मार्च को सीसीएफ पद से रिटायर कर दिया गया. कहीं से भी राहत नहीं मिली तो उन्होंने 24 मार्च को जबलपुर में कैट (सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस) याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई.