Dewas Tourist Places For Weekends: देवास जिला इंदौर से मात्र 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसके कारण यहां औद्योगिक गतिविधियां चलती रहती हैं.बता दें कि शहर में नोट छापने का कारखाना भी है. साथ ही, इस शहर में पर्यटकों के लिए कई प्रसिद्ध प्रसिद्ध स्थान हैं तो चलिए आज हम आपको उनमें से कुछ के बारे में बताएंगे...
पूरे देश में नोट छापने को लेकर अपनी पहचान रखने वाले देवास जिले में कई ऐसे स्थान हैं. जिसने के दर्शन करने के लिए प्रदेश के कई जिलों के लोग आते हैं.बता दें कि यहां पर कई ऐसे मंदिर हैं.जहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है.
देवास माता मंदिर एक पवित्र धार्मिक स्थल है.नवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. इस मंदिर की एक खास बात यह है कि इस मंदिर में दर्शन के साथ-साथ भैरो बाबा के दर्शन करना भी जरूरी है. अन्यथा उनके दर्शन के बिना भक्तों की मनोकामना पूरी नहीं होती.यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है.
गिदीया खो ऐतिहासिक स्थलों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है.यहां सांस्कृतिक और रंगारंग कार्यक्रम होते हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. यहां पर खुडैल देवता का मंदिर भी है.जो कि आदिवासी अंचल का काफी पुराना मंदिर है.यहां एक जलप्रपात है. जिसे लोग बारिश के दौरान देखना बहुत पसंद करते हैं.
इस जिसे में एक पहाड़ी मंदिर भी है जो काफी प्रसिद्ध है.इस मंदिर के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.देवास इस मंदिर के कारण बहुत प्रसिद्ध है.देवास के इस मंदिर को अलग-अलग नामों से जाना जाता है.इस मंदिर की गिनती भारत के शक्तिपीठों में की जाती है.इस मंदिर को चामुंडा देवी और तुलजा भवानी के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही इसे देवास माता का मंदिर भी कहा जाता था.माना जाता है कि चामुंडा देवी को बड़ी मां और तुलजा भवानी को छोटी मां कहा गया है.इन दोनों मांओं के बारे में बताया जाता है कि ये बहनें थीं.यह प्रसिद्ध मंदिर टेकरी पर स्थित है.
पंवार शासकों ने देवास में मीठा तालाब के पास छत्रियों का निर्माण कराया था. जो मराठा वास्तुकला से प्रभावित है और उन्हीं की तरह का एक मॉडल है. इन छत्रियों में बहुत ही महीन कारीगरी की गई है और इन छत्रियों का बाहरी रूप भी बहुत सुंदर है.इससे देवास के पूर्व शासकों की कला के प्रति रुचि का पता चलता है.
कावड़िया हिल्स चतुष्कोणीय, त्रिभुजाकार, पंचकोणीय और षट्कोणीय आकार के पत्थरों से बनी है और यह ज्वालामुखी के उद्गार से बनी है और इनसे धातु जैसी ध्वनि भी निकलती है. ये पहाड़ियां देवास की बागली तहसील से 10 किमी की दूरी पर धाराजी नामक स्थान पर स्थित हैं.
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