MP news: पंडित माखन लाल चतुर्वेदी जन्म 4 अप्रैल, 1889 बावई मध्य प्रदेश में हुआ था. इन्हें पंडित जी के नाम से भी जाना जाता है. पंडित जी सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के अनूठे हिन्दी रचनाकार थे. इन्होंने हिन्दी एवं संस्कृत का अध्ययन किया था. ये 'कर्मवीर' राष्ट्रीय दैनिक के संपादक भी थे. इन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था. इनकी मृत्यु 30 जनवरी 1968 में हुई थी.
प्यारे भारत देश गगन-गगन तेरा यश फहरा पवन-पवन तेरा बल गहरा क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले चरण-चरण संचरण सुनहरा
ओ ऋषियों के त्वेष प्यारे भारत देश।।
किन्तु प्रण की, प्रण की बाजी जगे उस दिन हो कि इस भू-भाग पर ही जिस किसी का वार
तब हथेली गर्विताएँ, कोटि शिर-गण देख विजय पर हँस कर मनावें लाड़ला त्यौहार
चट्टानें चिंघाड़े हँस-हँस सागर गरजे मस्ताना-सा
प्रलय राग अपना भी उसमें गूँथ चलें ताना-बाना-सा।
तुमसे बोल बोलते, बोली बनी हमारी कविता रानी तुम से स्ठ, तान बन बैठी मेरी यह सिसकें दीवानी अरे जी के ज्वार, जी से काढ़ फिर किस तौल तोलू
बोल तो किसके लिए मैं गीत लिक्खु, बोल बोलू?
जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे हम सब एक, अनेक रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे सजग एशिया की सीमा में रहता केद नहीं काले गोरे रंग-बिरंगे हममें भेद नहीं
श्रम के भाग्य निवेश प्यारे भारत देश ।
मुझे तोड़ लेना बनमाली उस पथ पर देना तुम फेंक मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ पर जावें वीर अनेक
जीवन, यह मौलिक महमानी!
खट्टा, मीठा, कटुक, केसला
कितने रस, कैसी गुण-खानी हर अनुभूति अतृप्ति-दान में बन जाती है आँधी-पानी
चतुर्वेदी जी की कई रचनाएं ऐसी हैं जहां उन्होंने प्रकृति के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है. पंडित जी राष्ट्रप्रेमी होने के साथ-साथ अपनत्व से आप्लावित व्यक्ति थे.
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