Ujjain Mahakal Temple: सावन के महीने में महाकाल उज्जैन में काफी संख्या में भक्तों का हुजूम लगता है. दुनिया भर से भक्त महाकाल के दरबार में हाजिरी लगाने आते हैं. आज पहले सोमवार के अवसर पर महाकाल नगर भ्रमण पर निकलेंगे.
आज सावन का पहला सोमवार है. आज पहले सोमवार को बाबा महाकाल शाम 4 बजे भ्रमण पर निकलेंगे. नगर भ्रमण के दौरान महाकाल का जगह- जगह पर स्वागत किया जाता है. साथ ही साथ फूल माला चढ़ाया जाता है.
मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया बाबा महाकाल मंदिर में परंपरा रही है श्रावण मास की 4 या 5 सवारियां होती है और 2 सवारी भाद्र पद (भादौ मास) की होती है जिसमें बाबा नगर भ्रमण पर हर सोमवार भक्तों का हाल जानने उन्हें आशीर्वाद देने खुद शाही ठाठ बाट के साथ निकलते हैं.
पहले सोमवार भगवान भक्तों को मनमहेश रूप में दर्शन दे रहे हैं. इसी प्रकार हर सोमवार को सवारी मे एक एक वाहन और विग्रह के रूप में प्रतिमा बढ़ती जाएगी और कुल 7 विग्रह भगवान के निकलेंगे.
आज पहले सोमवार को मंदिर के द्वार सुबह तड़के 02:30 बजे पट खोले गए आम दिनों में 03 बजे खोले जाएंगे. भस्मार्ती के दौरान कार्तिकेय मण्डपम् की अंतिम 3 पंक्तियों से श्रद्धालुओं के लिये चलित भस्मार्ती दर्शन व्यवस्था है जिसका अधिक से अधिक भक्त लाभ ले रहे है.
मंदिर में आम दिनों की तुलना में श्रावण सोमवार को डेढ़ घण्टे पहले पट खुल जाते हैं. यहां फुट पांति व जनेऊ पाती के वंशा वली अनुसार पूजन का क्रम होता है, ये समय फुट पांति के पुजारियों के लिए है उन्हीं ने आज द्वार खोले हैं सबसे पहले बाल भद्र की पूजा हुई.
उसके बाद भगवान के देहरी का पूजन हुआ और घण्टाल बजा कर भगवान को संकेत दिया गया कि हे महादेव महाकाल हम आपके द्वार खोल रहे हैं और प्रवेश करना चाहते हैं फिर मान भद्र का पूजन कर भगवान के गर्भ गृह की देहरी का पूजन हुआ इस तरह गर्भ गृह में हर रोज प्रवेश का क्रम पूरा होता है.
भगवान गणेश, कार्तिकेय, नंदी, सबको स्नान करवाया जाता है प्रथम कपूर आरती होती है उसके बाद सामान्य दर्शनार्थियों को प्रबेश दिया जाता है, तत्पश्चात हरि ॐ जल के बाद भगवान का पंचाभिषेक होता है अलग अलग प्रकार की वस्तुयें मंत्रों द्वारा भगवान को अर्पण की जाती है, ध्यान होता है आव्हान होता है भगवान को आसन दिया जाता है, भगवान के पैर धोए जाते है उन्हें स्नान करवाया जाता है उसके बाद पंचाभिषेक होता है.
भगवान महाकाल की भस्म आरती के लिए रविवार रात 2.30 बजे ही महाकाल मंदिर के पट खोल दिए गए, भस्म आरती में 17 हजार भक्तों ने भस्म आरती में दर्शन किए हैं, जबकि सुबह करीब 9.30 बजे तक 80 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के दर्शन का अनुमान है, दिनभर में 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है.
पहली भस्मार्ती जो वंश परंपरा के पुजारी करते हैं, जिसके बाद 7 बजे आरती होती है जिसमें चावल, दही, शक्कर का भोग लगता है व सामान्य पूजन और श्रृंगार होता है, जिसके बाद फिर से 10 बजे पंचमर्त पूजा होती है और पूर्ण भोग भगवान को लगता है, जिसमें दाल, चावल, सब्जी, रौती भजिए लड्डू बनते हैं जिसे भोग आरती कहते हैं.
शाम में 5 बजे भगवन का स्नान होकर जल चढ़ना बंद हो जाता है, श्रृंगार होकर भगवान दूल्हा स्वरूप में विराजमान रहते है निराकार से साकार स्वरूप में आ जाते है भगवान, फिर 7 बजे संध्या आरती जिसमें दूध का भोग लगता है. उसके पश्चात शयन आरती रात 10:20 बजे जिसमें मेवे का प्रसाद और फिर द्वार बंद कर दिए जाते है, भगवान को आराम के लिए कहा जाता है आप विश्वाम कीजिए, भस्मार्ती और शयन आरती मंदिर की परंपरा है व दिन की तीन आरती शासकीय आरती है सुख समृद्धि व अन्य के लिए जो ग्वालियर स्टेट के समय से चली आ रही है.
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