शिवराज सरकार बच्चियों से रेप पर फांसी का विधेयक लेगी वापस! जानिए क्या है वजह
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शिवराज सरकार बच्चियों से रेप पर फांसी का विधेयक लेगी वापस! जानिए क्या है वजह

साल 2017 में मध्य प्रदेश विधानसभा ने एक बिल पास किया था, जिसमें 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषी को फांसी की सजा देने का प्रावधान रखा गया था. 

फाइल फोटो

आकाश द्विवेदी/भोपालः मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार की आज कैबिनेट बैठक होनी है. इस बैठक में कई अहम निर्णय लिए जाएंगे. जिनमें एक बेहद अहम फैसला ये है कि सरकार बच्चियों से रेप पर फांसी की सजा के विधेयक को वापस लेने का प्रस्ताव पास कर सकती है. बता दें कि केंद्र सरकार ने भी बच्चियों से रेप पर फांसी की सजा का कानून बना दिया है, जिसके चलते राज्य सरकार ने अपना विधेयक वापस लेने का फैसला किया है. 

2017 में विधानसभा में पास हुआ था बिल
बता दें कि साल 2017 में मध्य प्रदेश विधानसभा ने एक बिल पास किया था, जिसमें 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषी को फांसी की सजा देने का प्रावधान रखा गया था. विधानसभा से पास होने के बाद इस बिल को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया था. हालांकि केंद्र सरकार ने साल 2018 में केंद्रीय अधिनियम दंड विधि (संशोधन) अधिनियम पास किया था, जिसमें बच्चियों से रेप के दोषी को फांसी की सजा का प्रावधान किया गया था. चूंकि अब यह कानून पूरे देश में लागू हो गया है, इसलिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से विधेयक वापस लेने का अनुरोध किया है. 

इन प्रस्तावों को भी मंजूरी दे सकती है सरकार
आज की कैबिनेट बैठक में सीएम शिवराज की अध्यक्षता में नए मेडिकल कॉलेज भवन के निर्माण के लिए डेढ़ हजार करोड़ रुपए से अधिक की प्रशासकीय स्वीकृति को लेकर भी फैसला किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि इन मेडिकल कॉलेज का निर्माण राजगढ़, मंडला, नीमच, मंदसौर, श्योपुर, सिंगरौली में किया जा रहा है. साथ ही सरकार राज्य शैक्षणिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीसेट) को प्रशासन अकादमी से अलग स्वतंत्र ईकाई के रूप में स्थापित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे सकती है. 

मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी, मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी सहित तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की विभिन्न परियोजनाओं के लिए 1818 करोड़ रुपए की स्वीकृति देने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हो सकती है. राज्य वित्त निगम द्वारा भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) से लिए लोन का एकमुश्त समझौता योजना के तहत निपटारा करने को लेकर भी विचार किया जा सकता है. 

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