इंदौर: देशभर में कई शहर और जगहों के नाम बदलने के बाद अब मध्यप्रदेश में इन दिनों नाम बदलने की मांग ज्यादा जोरों पर है.  अब देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर का भी नाम बदलने की चर्चा है. बताया जा रहा है कि इंदौर का नाम बदल कर अहिल्याबाई नगर कर दिया जाएगा. गौरतलब है कि हाल ही में इंदौर के पातालपानी स्टेशन, बस स्टैंड और चौराहे का नाम टंट्या भील किया जा रहा है. लेकिन शहर के नाम बदलने की चर्चा के बीच विरोध के स्वर भी उठने लगे है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नवाबी नामों से मुक्त होगा मध्यप्रदेश! भोपाल समेत कई स्थानों के नाम बदलने की तैयारी


दरअसल भोपाल में बीजेपी कार्यसमिति में जुटे इंदौर के वरिष्ठ नेताओं ने नाम बदलने की श्रृंखला में शहर के नाम के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का आग्रह किया है. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर इंदौर के प्रमुख चौराहे और बस स्टैंड के नामकरण को लेकर भी मिश्रित प्रतिक्रिया आई थी.


क्या इंदौर का नाम बदल जाएगा?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने इंदौर का नाम माता अहिल्याबाई होलकर के नाम पर करने का समर्थन किया है. उसके बाद बीजेपी के कई नेता भूपेन्द्र सिंह के समर्थन में आए हैं. वहीं बीजेपी प्रवक्ता उमेश शर्मा का कहना हैं कि माता अहिल्या बाई होल्कर परम शिव भक्त थीं, औऱ मां नर्मदा नदी की उपासक भी थी. उन्होंने देशभर में शिव मंदिर औऱ नदियों के घाटों का निर्माण करवाया. ऐसे में इंदौर के हर जन की आस्था माता अहिल्याबाई पर है. इसलिए शहर का नाम बदलने में कोई बुराई नहीं हैं.


जानिए इंदौर का नाम कैसे पड़ा
दरअसल आज भी कई लोग इस बात को जानते नहीं हैं कि इंदौर शहर का नाम किसी मुगल शासक के नाम पर नहीं है. बल्कि खुद अहिल्याबाई होलकर के आराध्य इंद्रेश्वर महादेव (शिव) के नाम पर है. इंदौर के इतिहासकार और जानकार  लोग मानते हैं कि इंदौर शहर का नाम पुराने समय में भगवान इंद्रेश्वर के नाम पर ही था. प्राचीन इंदौर में इंदौर का नाम इंद्रपुरी था और इंदौर को भगवान इंद्र की नगरी के रूप में ही जाना जाता था. इसके बाद होलकर रियासत काल के शुरुआती दौर में इंदौर का नाम इंदुर हुआ और समय बदलने के बाद यह शहर इंदौर कहलाने लगा. इसके प्रमाण के रूप में मंदिरों के आसपास आज भी कई साक्ष्य मौजूद हैं. लेकिन अब अहिल्या देवी के आराध्य शिव के नाम के इस शहर का नाम हटाकर मां अहिल्याबाई के नाम पर शहर का नाम करना उनके आराध्य शिव और शिव सेविका मां अहिल्याबाई दोनों का अपमान होगा या सम्मान ये तो सरकार ही जानें.


एमपी में नाम बदलने का चलन शुरू!
प्रदेश में शहरों के नाम बदलने की शुरुआत नर्मदापुरम (होशंगाबाद) और भेरूंदा (नसरल्लागंज) से हुई. इसी कड़ी में राज्य सरकार राजधानी भोपाल, यहां के मिंटो हॉल, ईदगाह हिल्स, रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज, गैरतगंज, बेगमगंज और गौहरगंज, बुरहानपुर शहर, सुल्तानपुर समेत एक दर्जन शहरों-स्थानों के नाम बदलने की तैयारी में भी है. इसके अलावा भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भोपाल के इस्लामनगर, लालघाटी, हलाली डैम और हलालपुरा बस स्टैंड नाम बदलने की मांग कर चुकी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी इन स्थानों के नाम बदलने की मांग कर चुकी हैं. दोनों भाजपा नेत्रियों का कहना है कि ये सभी नाम मुस्लिम शासकों के वक्त रखे गए थे. 


राजनीति में रामधुन: राम के नाम का सहारा लेने पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने जताई नाराजगी, कही बड़ी बात


मिंटो हॉल का नाम बदला जाएगा
नाम बदलने की इस कड़ी में राजधानी भोपाल और यहां का मिंटो हॉल भी शामिल है. मिंटो हॉल का उपयोग लंबे समय तक विधानसभा भवन के तौर पर होता रहा है. अब मध्य प्रदेश सरकार ने इसका नाम बदलने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इस नाम को बदलने में साथ खड़ी हुई नजर आ रही है. कांग्रेस का कहना है कि गुलामी के प्रतीक भोपाल के मिंटो हॉल का नाम बदलकर मामा टंट्या भील के नाम पर कर देना चाहिये, तो वहीं बीजेपी ने डॉ हरिसिंह गौर के नाम पर करने का आग्रह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से किया है. 


WATCH LIVE TV