Ujjain: बाबा महाकाल की आखिरी शाही सवारी आज, हिंदू के साथ मुस्लिम समाज के लोग भी गाते हैं भजन
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Ujjain: बाबा महाकाल की आखिरी शाही सवारी आज, हिंदू के साथ मुस्लिम समाज के लोग भी गाते हैं भजन

Baba Mahakal: उज्जैन स्थित बाबा महाकाल के आखिरी शाही सवारी की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. बाबा महाकाल के शाही सवारी में शामिल होने वाले बैंड पिछले 4 पीढ़ीयों से निःशुल्क बैंड बजाते हैं और भजन गाते हैं. बैंड बजाने वालों की सबसे खास बात यह है कि इसमें न सिर्फ हिंदू रहते, बल्कि इसमें मुस्लिम समाज के लोग भी शामिल होते हैं. इसलिए बाबा महाकाल की शाही सवारी में धार्मिक सौहार्द बनाने का खास संदेश मिलता है.

Ujjain: बाबा महाकाल की आखिरी शाही सवारी आज, हिंदू के साथ मुस्लिम समाज के लोग भी गाते हैं भजन

राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल मंदिर से प्रत्येक वर्ष श्रावण व भादौ माह के सोमवार पर बाबा महाकाल अलग अलग रूपों में पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं. आज यानी 22 अगस्त को बाबा महाकाल की इस वर्ष की आखरी शाही सवारी है. सवारी के इतिहास की बात करें तो बहुत सारी कहानी है. एक समय था जब पत्र के माध्यम के आम जन को सवारी में आमंत्रित किया जाता था. आज यह हाल है कि देश के हर कोने से बाबा की झलक पाने के लिए भक्त बिन बुलाए पहुंचते हैं और बड़ी संख्या में आस्था का जनसैलाब उमड़ता है. 

शाही सवारी में हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी बजाते हैं बैंड
शाही सवारी में शामिल होने वाले अलग-अलग राज्यों व शहर के बैंड की हम बात करें तो उसमें धार्मिक सौहार्द बनाये रखने का खास संदेश देखने को मिलता है. सवारी में शामिल बैंड में हिन्दू ही नहीं मुस्लिम भी शामिल होते हैं, जो बाबा के भजन गाने के साथ-साथ भजन की धुन को बैंड पर बजाते हैं. साथ ही डमरू मंडली, भजन मंडलीया, मलकम्भ की प्रस्तुति देने वाले बच्चे व अन्य कई लोग सवारी में शामिल होते हैं. भक्त नाचते गाते झूमते है और ये नजारा इस बार इसलिए भी खास है क्योंकि कोरोना के 2 साल बाद ये दृश्य सामने होगा.

हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी गाते हैं भजन
दरअसल बैंड के मालिक विजय सिंह ने बताया कि बैंड में शामिल हिन्दू हो या मुस्लिम समाज के लोग 4 पीढ़ियों से यह काम निःशुल्क करते आ रहे हैं. बैंड उज्जैन शहर के अलावा देशभर के अलग-अलग राज्यों से बाबा महाकाल के शाही सवारी में प्रस्तुति देने निस्वार्थ सेवा भाव से पहुंचते हैं. विगत सप्ताह भर से इस दिन की तैयारी कर रहे है, शहर के ही 5 बैंड हैं, बाहर के भी अलग-अलग बैंड हैं, सभी बैंड द्वारा धर्मिक भजनों की प्रस्तुति दी जाती है. शाही सवारी के लिए हिन्दू ही नहीं मुस्लिम भी है जो भजन गाते है, और सहयोग करते है अलग से भजन तैयार किये जाते है. इस दौरान पूरा माहौल शिव मय होता है. एक से डेढ़ लाख रुपए एक बैंड का खर्चा आता है, जिसके एवज में मंदिर समिति द्वारा 5000 से 11000 के बीच जो राशि दी जाती है वह रख लेते है, खाने पीने की व्यवस्था भी हम खुद करते हैं बैंड बजाने वालों की ड्रेस का खर्च ही एक जने का तीन से सढे तीनहज़ार रुपए बैठता है. एक बैंड में करीब 40 लोग होते हैं, इसमें हिंदू मुस्लिम में कोई भेद नहीं है.

जिला प्रशासन ने की खास तैयारी
आपको बता दे कि बाबा महाकाल की शाही सवारी राजसी ठाठ बाट के साथ सावन भादो माह की यह आखिरी सवारी होगी, जो नगर भ्रमण पर शाम 4 बजे निकलेगी. इस सवारी में प्रत्येक वर्ष परंपरा अनुसार सिंधिया राजघराने से देर शाम 5:00 बजे ज्योतिरादित्य सिंधिया श्री राम घाट पर पूजन अर्चन करेंगे व उसके बाद गोपाल मंदिर की छत्री से भगवान की पालकी का स्वागत करेंगे, साथ ही बड़ी संख्या में भक्तों का जनसैलाब बाबा के दर्शन हेतु उमड़ेगा, जिसके लिए जिला प्रशासन पुलिस ने खास तैयारी की है.

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